इंडिया का फिक्स्ड इनकम मार्केट (Fixed Income Market) बैंकों के लिए सिरदर्द बन गया है। इसकी वजह मॉनेटरी पॉलिसी (Monetary Policy) में बदलाव और बढ़ता इनफ्लेशन (Inflation) है। बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) में उछाल से बैंकों को ट्रेजरी लॉस (Treasury Loss) का सामना करना पड़ा है। इस वजह से इस फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में ज्यादातर बैंकों के प्रॉफिट में तेज गिरावट आई है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का ऑपरेटिंग प्रॉफिट जून तिमाही में साल दर साल आधार पर 33 फीसदी घट गया। इसमें इसके बॉन्ड पोर्टफोलियो को लगी 6,549 करोड़ रुपये की चोट का बड़ा हाथ है। दूसरे बैंकों के मुनाफे पर भी इसका अलग-अलग तरह से असर देखने को मिला है।
आपके लिए यह समझ लेना जरूरी है कि बॉन्ड की कीमत और उसकी यील्ड में विपरीत संबंध होता है। बॉन्ड की कीमत गिरने पर उसकी यील्ड बढ़ जाती है। बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर उसकी यील्ड घट जाती है। बॉन्ड यील्ड बढ़ना बैंकों के लिए अच्छी खबर नहीं है। इससे उनके बॉन्ड पोर्टफोलियो को लॉस होता है। इसकी वजह यह है कि पोर्टफोलियो में शामिल बॉन्ड की वैल्यू घट जाती है।
हालांकि, बैंकों को लॉस तभी होगा, जब वे बॉन्ड बेचेंगे। लेकिन, बैंकों के लिए करेंट मार्केट प्राइस के हिसाब से अपने बॉन्ड पोर्टफोलियो को मार्क करना जरूरी होता है। इस वजह से लॉस की स्थिति में उन्हें प्रोवजिनिंग करनी पड़ती है। इसका मतलब है कि बैंक को अपनी इनकम का एक हिस्सा बॉन्ड पोर्टफोलियो से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अलग कर देना होता है।
बैंकों का ट्रेजरी इनकम नॉन-इंटरेस्ट इनकम के तहत आता है। 28 लिस्टेड बैंकों के नॉन-इंटरेस्ट इनकम में जून तिमाही में तिमाही दर तिमाही आधार पर 28 फीसदी गिरावट आई है। साल दर साल आधार पर इसमें थोड़ा बदलाव है। कुछ बैंकों की फीस इनकम में भी गिरावट आई है। फीस इनकम भी नॉन-इंटरेस्ट इनकम के तहत आती है। SBI का नॉन-इंट्रेस्ट इनकम साल दर साल आधार पर 80 फीसदी तक घट गया है।
10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड करीब 7.35 फीसदी है। अप्रैल के मुकाबले यह 100 बेसिस प्वॉइंट्स (1 फीसदी) बढ़ चुका है। एनालिस्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में बॉन्ड यील्ड बढ़कर 7.5 फीसदी तक जा सकती है।
कोटक सिक्योरिटीज के एनालिस्ट्स का कहना है, "इनफ्लेशन और ग्रोथ के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की वजह से दुनियाभर में मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। ऐसे में आने वाले समय में यील्ड 7.20-7.45 के बीच रह सकती है।"
SBI चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने संकेत दिया है कि बॉन्ड यील्ड की वजह से होने वाला नुकसान आगे ज्यादा रहने की उम्मीद नहीं है। वित्तीय नतीजों के बाद उन्होंने कहा, "अगर 10 साल बॉन्ड की यील्ड मौजूदा स्तर पर बनी रहती है तो हमें 1,900 रुपये राइट बैक करना पड़ेगा। अगर यील्ड 7.75 फीसदी तक बढ़ जाती है तो हमें और 2000 से 3000 रुपये का प्रोविजन करना होगा। लेकिन, इनफ्लेशन में नरमी और करेंसी में मजबूती को देखते हुए हमें यील्ड में ज्यादा उछाल की उम्मीद नहीं दिखती। "