RBI ने बैंकों से कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और भारत के बीच होने वाले व्यापार में दिरहम (AED) या भारतीय रुपये के इस्तेमाल को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए। सूत्रों ने बताया कि रिजर्व बैंक (RBI) ने इन कारोबारी सौदों में डॉलर की निर्भरता घटाने के मकसद से यह निर्देश जारी किया गया है। बैंकों से कहा गया है कि वे इस देश के अपने क्लाइंट्स से कहें कि दिरहम या रुपये में सौदे निपटाना ज्यादा बेहतर होगा।
सूत्रों ने बताया कि इस कदम के जरिये रिजर्व बैंक का मकसद उन देशों के साथ स्थानीय मुद्रा में सौदों को बढ़ावा देना है, जिनके साथ भारत का ट्रेड डेफिसिट है। इससे वैश्विक स्तर पर रुपये की पहुंच बढ़ेगी। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि इस कदम का मकसद ट्रेड डेफिसिट की वजह से होने वाले डॉलर के खर्च को कम करना है।
एक प्राइवेट बैंक के ट्रेजरी अधिकारी ने बताया, 'रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे अपने क्लाइंट्स और कंपनियों को डॉलर के बजाय धीरे-धीरे रुपये-दिरहम में कारोबार करने के लिए प्रोत्साहित करें।'
रिजर्व बैंक और कॉमर्स मिनिस्ट्री ने ईमेल से भेजे गए सवालों के जवाब नहीं दिए। एक सूत्र के मुताबिक, रिजर्व बैंक भारत-संयुक्त अरब अमीरात के बीच रुपये-दिरहम में कारोबार के लिए टारगेट तय करने पर भी विचार कर सकता है। इस बैंकर ने बताया, 'केंद्रीय बैंक को लगता है कि इस तरह के व्यापार के वॉल्यूम में बढ़ोतरी होनी चाहिए और उसने यह आश्वासन भी दिया है कि रुपये-दिरहम में कारोबार के मामले में बैंकों को हरमुमकिन मदद दी जाएगी।'
डॉलर से अलग मुद्रा में व्यापार के वॉल्यूम को लेकर आंकड़े सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इस बारे में कुछ बैंकर्स का कहना था कि मौजूदा वॉल्यूम काफी कम है और इस वजह से कंपनियों को पूरे इंपोर्ट के लिए दिरहम में भुगतान करना मुश्किल हो सकता है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने इसी महीने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी को कच्चे तेल का भुगतान रुपये में किया है।
एक और बैंकर ने बताया, 'रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे पहले अपने बड़े क्लाइंट्स और कंपनियों को रुपये-दिरहम में व्यापार शुरू करने को कहें, क्योंकि उनकी बैलेंस शीट अपेक्षाकृत मजबूत हैं।'