सॉवरेन बॉन्ड यील्ड (Sovereign bond yield) में 17 अगस्त को उछाल देखने को मिला। दरअसल, रिटेल इनफ्लेशन में तेज वृद्धि से इंटरेस्ट रेट में जल्द कटौती की उम्मीद घट गई है। शुरुआती कारोबार में 10 साल के सॉवरेन बॉन्ड की यील्ड 0.58 फीसदी बढ़कर 7.25 फीसदी पहुंच गई। ट्रेडर्स के सॉवरेन बॉन्ड्स की बिकवाली करने से यील्ड में उछाल आया। इस साल 6 अप्रैल के बाद पहली बार बॉन्ड यील्ड इस लेवल पर पहुंची है। सुबह 10:31 बजे 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड 7.24 फीसदी थी। 14 अगस्त को यह 7.20 थी। 10 साल के सॉवरेन बॉन्ड्स में 15 अगस्त और 16 अगस्त को ट्रेडिंग नहीं हुई। इंडिपेंडेंस डे और पारसी न्यू ईयर के उपलक्ष्य में दोनों दिन मनी मार्केट्स में छुट्टी थी।
बॉन्ड प्राइस और यील्ड में विपरीत संबंध
बॉन्ड की कीमत और उसकी यील्ड में विपरीत संबंध होता है। इसका मतलब है कि बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर यील्ड घट जाती है। बॉन्ड की कीमत घटने पर यील्ड बढ़ जाती है। जुलाई में रिटेल इनफ्लेशन में तेज उछाल आया है। यह बढ़कर 7.44 फीसदी के 15 महीनों के हाई लेवल पर पहुंच गया। यह RBI की तरफ से फिक्स्ड 2-6 फीसदी की टारगेट रेंज से काफी ज्यादा है। मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने 14 अगस्त को रिटेल इनफ्लेशन के डेटा जारी किए। सब्जियों खासकर टमाटर, हरी मिर्च आदि की कीमतों में तेज उछाल से रिटेल इनफ्लेशन 7 फीसदी के पार पहुंच गया है।
रिटेल इनफ्लेशन में उछाल से बॉन्ड प्राइसेज पर दबाव
जुलाई का 7.44 फीसदी का रिटेल इनफ्लेशन का यह डेटा जून के 4.87 फीसदी के संशोधित रिटेल इनफ्लेशन के डेटा से 257 बेसिस प्वाइंट्स ज्यादा है। यह लगातार 46वां महीना है, जब रिटेल इनफ्लेशन मीडियम टर्म के लिए आरबीआई के 4 फीसदी के टारगेट से ज्यादा है। हालांकि, इससे पहले रिटेल इनफ्लेशन में धीरे-धीरे कमी आ रही थी। लेकिन, सरकार और RBI को जुलाई में रिटेल इनफ्लेशन बढ़ने का अनुमान पहले से था। यही वजह है कि आरबीआई ने 10 अगस्त को अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में जुलाई-सितंबर के लिए इनफ्लेशन का अनुमान 100 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ाकर 6.2 फीसदी कर दिया था।
इंटरेस्ट रेट में जल्द कमी की उम्मीद नहीं
ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर की रिसर्च एनालिस्ट अंजली वर्मा ने कहा, "हमें कुछ और महीनों तक रिटेल इनफ्लेशन हाई रहने की उम्मीद है। इस फाइनेंशियल ईयर की दूसरी छमाही में इसमें थोड़ी नरमी आएगी, जब फूड की कीमतों में कमी आएगी। क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें भी चिंता की वजह हैं।" जब तक रिटेल इनफ्लेशन पूरी तरह से काबू में नहीं आ जाता, केंद्रीय बैंक इंटरेस्ट रेट घटाने में जल्दबाजी नहीं करेगा।