डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 85 के लेवल पर आ गया है। 19 दिसंबर को अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 85 के लेवल पर खुला। पहली बार रुपया ने इस मनोवैज्ञानिक स्तर को छुआ है। 18 दिसंबर को रुपया 84.95 के लेवल पर बंद हुआ था। इसका मतलब है कि 19 दिसंबर को रुपये में शुरुआती कारोबार में 5 पैसे की कमजोरी आई। इसकी वजह फेडरल रिजर्व की दिसंबर की मॉनेटरी पॉलिसी बताई जा रही है।
2025 में सिर्फ दो बार इंटरेस्ट रेट में कमी
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने 18 दिसंबर को अपनी मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान किया। उसने इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की। इसकी उम्मीद पहले से की जा रही थी। लेकिन, फेड ने 2025 में इंटरेस्ट रेट में कमी को लेकर जो संकेत दिए, उससे काफी निराशा देखने को मिली। 2025 में फेड इंटरेस्ट रेट में सिर्फ दो बार कमी कर सकता है। पहले चार बार कमी होने का अनुमान था। इसका असर अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों पर पड़ा।
अमेरिकी बाजारों में बड़ी गिरावट
फेडरल रिजर्व के अगले साल सिर्फ दो बार इंटरेस्ट रेट में कमी करने के संकेतों से 18 दिसंबर को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों के प्रमुख सूचकांक 4 फीसदी तक गिर गए। इसका असर 19 दिसंबर को इंडिया सहित एशियाई बाजारों में देखने को मिला। बाजार के प्रमुख सूचकांक शुरुआती कारोबार में भारी दबाव में दिखे।
स्टॉक मार्केट में बिकवाली से रुपये पर बढ़ा दबाव
इंडिया में स्टॉक मार्केट में गिरावट से रुपये पर दबाव बढ़ गया। इससे यह 85 के मनोवैज्ञानिक लेवल पर पहुंच गया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर इंडियन मार्केट्स में बिकवाली बढ़ती है तो इससे डॉलर की मांग बढ़ेगी, जिससे रुपया और दबाव में आएगा। ऐसे में आने वाले सत्रों में रुपये में गिरावट जारी रह सकताी है। उधर, डॉलर में काफी मजबूती देखने को मिली है। डॉलर इंडेक्स 108 तक पहुंच गया है। इसका असर भी रुपये पर पड़ेगा। डॉलर इंडेक्स दो साल के हाई लेवल पर पहुंच गया है।
रुपये डॉलर के मुकाबले पहले से दबाव में था
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से रुपये पर दबाव दिख रहा था। इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ में सुस्ती, स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेशकों की बिकवाली और दुनिया की प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती ने रुपये पर दबाव बढ़ा दिया था। इंडिया का व्यापार घाटा भी नवंबर में काफी बढ़ा है। इसका असर भी रुपये पर पड़ा है। मार्केट की नजरें आरबीआई पर लगी हैं। केंद्रीय बैंक रुपये में गिरावट रोकने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है।
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रुपये में कमजोरी से किसे फायदा, किसे नुकसान?
अगर रुपये में गिरावट जारी रहती है तो आयातकों, कंपनियों और विदेश में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की मुश्किल बढ़ जाएगी। आयातकों को गुड्स और सर्विसेज के इंपोर्ट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी। कंपनियों को विदेश में कर्ज जुटाना महंगा हो जाएगा। विदेश में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स का महीने का खर्च बढ़ जाएगा। हालांकि, रुपये में कमजोरी से निर्यातकों को फायदा होगा। साथ ही इंडियन आईटी कंपनियों को भी इससे लाभ होगा। इसका असर आईटी कंपनियों के शेयरों पर दिख सकता है। स्टॉक्स में तेजी आ सकती है।