अगले साल रुपये में मजबूती आने की उम्मीद है। ऐसे में एक डॉ़लर की कीमत घटकर 80 रुपये से कम रह सकती है। गुरुवार को रॉयटर्स से बात करते हुए बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) ) के भारत स्थित एक टॉप ट्रेजरी अधिकारी ने कहा कि फॉरेन फ्लो (विदेशी निवेश से आने वाले पैसे) की मदद से भारतीय रुपया 2024 में डॉलर के मुकाबले 80 से नीचे जा सकता है । बेंचमार्क 10-ईयर बांड यील्ड 7.20 फीसदी तक बढ़ सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका के भारतीय कारोबार के प्रबंध निदेशक और कोषाध्यक्ष जयेश मेहता ने कहा, "मेरे विचार में, ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) के जारिए आने वाले विदेशी पैसे के प्रवाह के चलते रुपये में तेजी आएगी।"
उन्होंने आगे कहा "संभावित ग्लोबल मंदी के चलते भारत से होने वाले निर्यात में सुस्ती आ सकती है। लेकिन जीसीसी के जरिए आने वाले विदेशी पैसे, विदेश में काम करने वाले भारतीयों द्वारा देश में भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा और कच्चे तेल की कीमतें में गिरावट के चलते डॉलर के मुकाबले रुपए को सपोर्ट मिलेगा और रुपए में यहां से कोई बड़ी कमजोरी नहीं आएगी"।
किसी मुश्किल में आरबीआई करेगा स्पीड ब्रेकर का काम
जयेश मेहता ने आगे कहा कि रुपए के मुश्किल में पड़ने पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) "स्पीड ब्रेकर" के रूप में कार्य करेगा और भारतीय मुद्रा में किसी भी अनुचित अस्थिरता को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।
बता दें की इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये लगभग 1 फीसदी की मजबूती देखने को मिली है। जबकि इसी अवधि में डॉलर के मुकाबले अधिकांश एशियाई मुद्राएं कमजोर हुई हैं। इस अवधि के दौरान भारतीय रुपया एशियाई पैक में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मुद्राओं में से एक रहा है। इसी अवधि में डॉलर इंडेक्स में भी 1.4 फीसदी की गिरावट आई है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पिछली 10 बैठकों में दरें बढ़ाने के बाद पिछले सप्ताह ब्याज दरों में ठहराव का विकल्प चुना। लेकिन महंगाई से निपटने के लिए इस साल के अंत तक ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी का संकेत दिया है। हालांकि, विश्लेषकों को उम्मीद है कि फेड द्वारा अपनी नीति दरों में 25 आधार अंक की केवल एक और बढ़ोतरी की जाएगी।
इस बीच, आरबीआई ने अपनी पिछली दो नीति बैठक में लेंडिंग रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बरकरार रखी गई है। उम्मीद है कि बाकी बचे साल 2023 में आरबीआई की रेपो रेट 6.50 फीसदी पर ही बनाए रखी जाएगी।
अमेरिका और भारत में ब्याज दर का अंतर कम होने से निवेशकों को चिंतित होने की जरूरत नहीं
जयेश मेहता ने इस बातचीत ये ये भी कहा कि चूंकि भारत में आने वाले विदेशी पैसे का एक बड़ा हिस्सा भारतीय इक्विटीज में जाता है, इसलिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत के ब्याज दर का अंतर कम होने से निवेशकों को चिंतित नहीं होना चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि भारत में 10 साल की बॉन्ड यील्ड अगली तिमाही तक मौजूदा 7.07 फीसदी से बढ़कर 7.16-7.20 फीसदी हो जाएगी। मेहता को इस बात की भी उम्मीद है कि आरबीआई और फेड जनवरी-मार्च तिमाही में दरों में कटौती शुरू कर देंगे।