Salasar Techno Engineering के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है। 16 फरवरी को 5 फीसदी गिरने के बाद इस स्टॉक में लोअर सर्किट लग गया। इस शेयर की कीमत 7 फरवरी को रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गई थी। उसके बाद इसमें लगातार 7 सत्रों में गिरावट दिखी। पिछले साल दिसंबर में इस स्टॉक में तेजी शुरू हुई। फिर डेढ़ महीने में इसकी वैल्यू तिगुनी हो गई। कंपनी ने प्रिफरेंशियल इश्यू का ऐलान किया। इसकी कीमत दिसंबर के निचले स्तर से 45 फीसदी ज्यादा थी। कंपनी हर एक शेयर पर 4 बोनस शेयर देने का भी ऐलान किया। अब इस शेयर में पार्टी खत्म होती दिख रही है। दुबई की Godfather की करीबी कंपनियां इस स्टॉक में काफी एक्टिव रही हैं। इसका पता बल्क डील से चलता है।
एल्गो जॉबर्स का मिला नया काम
सर्किट फिल्टर के निचले स्तर पर हाई वॉल्यूम से ऐसा लगता है कि इस स्टॉक में हलचल जारी रहेगी। अच्छे दिनों के दौरान कंपनी के प्रमोटर्स की तरफ से शेयरों की कीमतें बढ़ाने की कोशिश की गई थी। वॉल्यूम बढ़ाने और रिटेल इनवेस्टर्स को आकर्षित करने के लिए उन्होंने सर्कुलर ट्रेडिंग तक का सहारा लिए थे। एल्गो जॉबर्स ने मार्केट कैपिटलाइजेशन को लेकर संवेदनशील प्रमोटर का काम आसान कर दिया है। कुछ एल्गो जॉबर्स फीस लेकर प्रमोटर्स की मदद करने को तैयार हैं। वे यह धारणा बनाने की कोशिश करते हैं कि स्टॉक में हेवी ट्रेडिंग हो रही है। कई एल्गो जॉबर्स फर्मों के अचानक माइक्रो कैप स्टॉक्स में एक्टिव होने की भी यह एक वजह हो सकती है।
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यूनिटेक में कुछ अमीर निवेशकों की दिलचस्पी
इस महीने रियल एस्टेट स्टॉक्स में ज्यादा दिलचस्पी दिखी है। इनवेस्टर्स निवेश के लिए अच्छे विकल्प नहीं मिलने पर उन कंपनियों के स्टॉक्स में पैसे लगा रहे हैं, जिनकी कीमत गिरी है। बताया जाता है कि गुजरात के एक अमीर निवेशकों का समूह Unitech में पॉजिशंस बना रहा है। उनकी कोशिश यह धारणा बनाने की है कि कंपनी जल्द कानूनी झमेलों से बाहर निकल सकती है। इस कंपनी में प्रमोटर्स की मुश्किल से 5 फीसदी हिस्सेदारी है। इस बाजार में रिटेल इनवेस्टर्स की ताकत दूसरों से ज्यााद दिख रही है।
कभी रियल एस्टेट का चेहरा थी यूनिटेक
2007 के बुल मार्केट में एक्टिव रहे इनवेस्टर्स को याद होगा कि तब रियल्टी कंपनियों में आए उछाल के बीच यूनिटेक इस सेक्टर का चेहरा बन गया था। अप्रैल 2005 में अपने निचले स्तर से जनवरी 2008 में यह स्टॉक 210 गुना चढ़ा था। लेकिन, 2जी घोटालों में फंसने के बाद उसी तेजी के साथ इसकी कीमतें गिरी थीं। यह पेनी स्टॉक बनकर रह गया था।