सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने लिस्टेड कंपनियों के लिए मर्जर और एक्विजिशन (Merger and Acquisition) से जुड़े ट्रांजैक्शन को आसान बनाने की कोशिश की है। इसके तहत ओपन ऑफर लाए जाने के बाद कंपनी के इक्विटी शेयरों को डीलिस्ट करने (शेयर बाजारों से हटाने) से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है।
SEBI की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, नए नियमों के तहत प्रमोटरों या अधिग्रहण करने वाली कंपनियों को शुरुआत में एक सार्वजनिक घोषणा के जरिए कंपनी के शेयरों को एक्सचेंजों से हटाने की अपनी मंशा का खुलासा करना होगा।
यदि अधिग्रहण करने वाली कंपनी, उस फर्म के शेयरों को डीलिस्ट करना चाहती है, तो उसे ओपन ऑफर के मूल्य से अधिक कीमत पर शेयरों को हटाने की घोषणा करनी होगी। SEBI ने कहा, "यदि ओपन ऑफर अप्रत्यक्ष तरीके से अधिग्रहण के लिए है, तो अधिग्रहण करने वाली कंपनी को ओपन ऑफर के मूल्य और सांकेतिक कीमत का खुलासा, विस्तार से दिए गए सार्वजनिक बयान के दौरान और ऑफर लेस्ट में करना होगा।"
मौजूदा नियमों के तहत यदि ओपन ऑफर शुरू हो जाता है, तो अधिग्रहण नियमों के पालन से अधिग्रहण करने वाली कंपनी की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत या कई बार 90 प्रतिशत से अधिक पहुंच जाती है।
यह लिस्टेड कंपनियों के मर्जर और एक्विजिशन को अधिक जटिल बनाता है। इसी जटिलता को कम करने के लिए सेबी ने नए नियम जारी किए हैं। इसके तहत ओपन ऑफर का प्राइस, कंपनी के मिनिमम टेकओवर प्राइस से कम नहीं होना चाहिए।