सेबी ने दी बड़ी राहत, मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम का पालन कंपनियों को 10 साल में करना होगा

ऐसी कंपनी जिसकी मार्केट कैपिटलाइजेशन इश्यू के बाद 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होगी, उसकी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग 15 फीसदी कम होने पर उसे एमपीएस के इस लेवल को 5 साल में हासिल करना होगा। 25 फीसदी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम का पालन करने के लिए उसे 10 साल का समय लगेगा

अपडेटेड Sep 12, 2025 पर 8:18 PM
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12 सितंबर को सेबी के बोर्ड की मीटिंग में कई बड़े फैसले हुए।

सेबी ने 12 सितंबर को बोर्ड की बैठक में बड़ा फैसला लिया है। अब आईपीओ पेश करने वाली बड़ी कंपनियों को मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (एमपीएस) के पालन के लिए 10 साल का समय मिलेगा। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने मीडिया को यह जानकारी दी। अगर 50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपये मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनी आईपीओ पेश करती है तो उसे 25 फीसदी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम का पालन 5 साल में करना होगा। अभी ऐसी कंपनियों को इसके लिए सिर्फ 3 साल का समय मिलता है।

मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम में राहत

ऐसी कंपनी जिसकी मार्केट कैपिटलाइजेशन इश्यू के बाद 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होगी, उसकी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग 15 फीसदी कम होने पर उसे एमपीएस के इस लेवल को 5 साल में हासिल करना होगा। 25 फीसदी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम का पालन करने के लिए उसे 10 साल का समय मिलेगा। सेबी ने यह जानकारी दी। बताया जाता है कि नए नियम से कंपनी को काफी राहत मिलेगी। सेबी के बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया।


आईपीओ के नियमों में बदलाव से मिलेगी राहत

12 सितंबर को सेबी के नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय की अध्यक्षता में बोर्ड की तीसरी बैठक हुई। चेयरमैन ने बैठक के बाद आज हुए अहम फैसलों के बारे में बताया। मार्केट को इस बैठक का काफी इंतजार था। बड़ी कंपनियों को आईपीओ के नियमों में राहत मिलने की उम्मीद पहले से जताई जा रही थी। सेबी ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद आईपीओ के नियमों में राहत दी है।

पहले से लिस्टेंड कंपनियों को भी एमपीएस के लिए मिलेगा ज्यादा समय

सेबी ने कहा कि लिस्टेड कंपनियों के लिए टाइमलाइन बढ़ाने के प्रस्ताव से रेगुलेटरी ट्रीटमेंट में समानता आएगी। बोर्ड ने यह भी कहा कि मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) के नियमों के पालन के लिए कंपनियों को जो ज्यादा समय दिया गया है, वह उन कंपनियों के लिए भी लागू हो सकता है जो पहले से लिस्टेड हैं और उन्होंने अभी एमपीएस के नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है। इसका मतलब है कि जिन कंपनियों ने लिस्टिंग के बाद अब तक एमपीएस के नियमों का पालन नहीं किया है, उन्हें 12 सितंबर के फैसले के बाद इसके लिए अतिरिक्त समय मिल जाएगा। हालांकि, अगर एक्सचेंज ने ऐसी कंपनियों पर पेनाल्टी लगाई है या लगाने वाला है तो उसे ऐसे करने की इजाजत होगी।

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आईपीओ के मिनिमम साइज के नियम के पालन में आ रही थी दिक्कत

मनीकंट्रोल ने इस साल अगस्त में खबर दी थी कि सेबी कंपनियों को एमपीएस के नियम के पालन के लिए ज्यादा समय देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। सेबी ने अपने कंसल्टेशन पेपर में इस प्रस्ताव के फायदों के बारे में बताया था। सेबी का मानना है कि आईपीओ का साइज हर साल बढ़ रहा है। ऐसे में कंपनियों के लिए मिनिमम इश्यू साइज और एमपीएस के नियमों का पालन करना मुश्किल हो रहा है। कंपनियों ने 2025 में अब तक आईपीओ से 10 अरब डॉलर से ज्यादा पैसे जुटाए हैं।

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