सेबी ने नॉमिनी से कानूनी वारिस को सिक्योरिटीज के ट्रांसफर पर एक सर्कुलर जारी किया है। इसका मकसद सिक्योरिटीज के ट्रांसफर के प्रोसेस को आसान बनाना है। इससे कंप्लायंस में भी आसानी होगी और सक्सेशन के मामलों में टैक्स से जुड़ी बाधाएं खत्म होंगी।
सेबी ने नॉमिनी से कानूनी वारिस को सिक्योरिटीज के ट्रांसफर पर एक सर्कुलर जारी किया है। इसका मकसद सिक्योरिटीज के ट्रांसफर के प्रोसेस को आसान बनाना है। इससे कंप्लायंस में भी आसानी होगी और सक्सेशन के मामलों में टैक्स से जुड़ी बाधाएं खत्म होंगी।
अभी शेयरों के ट्रांसफर में आती है दिक्कत
अभी सिक्योरिटी होल्डर की मौत के बाद नॉमिनी सिक्योरिटीज के लिए ट्रस्टी की भूमिका निभाता है और सक्सेशन प्लान के मुताबिक उन्हें कानूनी वारिस को ट्रांसफर करता है। इस प्रक्रिया की वजह से कई बार कैपिटल गेंस टैक्स को लेकर नॉमिनी का एसेसमेंट होता है। हालांकि, इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक, इस 'ट्रांसमिशन' को 'ट्रांसफर' नहीं माना जाता है। नॉमिनी को रिफंड क्लेम कर सकता है, लेकिन इस प्रोसेस में देर होती है और इसमें मुश्किल भी आती है।
सेबी ने मामले पर विचार के लिए बनाया था वर्किंग ग्रुप
इस दिक्कत को खत्म करने के लिए सेबी ने एक वर्किंग ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप ने इस मामले पर सीबीडीटी के साथ मिलकर विचार किया। इसके बाद वर्किंग ग्रुप ने एक स्टैंडर्ड रिपोर्टिंग मैकनिजम के इस्तेमाल का सुझाव दिया। इससे टैक्स से जुड़े गैर-जरूरी मसलों के बगैर सिक्योरिटीज का ट्रांसफर मुमकिन होगा। सेबी ने वर्किंग ग्रुप के सुझावों को मान लिया है। सेबी ने इश्यू एंड शेयर ट्रांसफर एजेंट्स के रजिस्ट्रार्स, लिस्टेड इश्यूअर्स, डिपॉजिटरीज और डिपॉजिटरीज पार्टिसिपेंट्स को ऐसे ट्रांजेक्शन की रिपोर्टिंग सीबीडीटी को करते वक्त एक नया रीजन कोड-TLH (ट्रांसमिशन टू लीगल हेयर्स) का इस्तेमाल करने को कहा है।
अब शेयरों के ट्रांसफर पर एक कोड का इस्तेमाल होगा
इस कोड से टैक्स अथॉरिटीज को इनकम टैक्स एक्ट के तहत एग्जेम्प्शन के प्रावधानों का सही तरह से इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी। इससे गैर-जरूरी टैक्स एसेसमेंट के मामलों पर भी रोक लगेगी। सेबी के सर्कुलर में कहा गया है कि नॉमिनी से कानूनी वारिस को सिक्योरिटीज के ट्रांसमिशन को आसान बनाने और टैक्स से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए एक स्टैंडर्ड रीजन कोड 'TLH' के इस्तेमाल का फैसला लिया गया है।
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अगले साल 1 जनवरी से लागू होगा नया सिस्टम
रेगुलेटर ने यह स्पष्ट किया है कि इस बदवाल से टैक्स से जुड़ी दिक्कतें दूर हो जाएंगी। लेकिन, सेबी के LODR रेगुलेशंस और RTA के लिए फ्रेमवर्क का इस्तेमाल पहले की तरह होता रहेगा। नया फ्रेमवर्क 1 जनवरी, 2026 से लागू हो जाएगा। सभी मार्केट इंटरमीडियरीज को अगले साल 1 जनवरी से पहले सिस्टम में जरूरी बदलाव करने को कहा गया है। इस बारे में सेबी ने एक कंसल्टेशन पेपर 12 अगस्त को पेश किया था।
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