वीकली एक्सपायरी पर लगाम और इंडेक्स के कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू बढ़ाने जैसे सख्त नियमों का गंभीर असर हुआ है। पिछले साल दिसंबर से लागू हुए सेबी के नियमों से ऑप्शंस में वॉल्यूम तो घटे ही है। साथ ही ब्रोकिंग कंपनियों के मुनाफे पर भी चोट पड़ी है। इन नियमों के असर को लेकर ICRA ने रिपोर्ट जारी की है। इससे पता चलता है कि SEBI के सख्त नियमों का क्या असर हुआ है।
SEBI के सख्त नियमों का असर
SEBI के सख्त नियमों के असर की बात करें तो ICRA के रिपोर्ट के मुताबिक इंडेक्स ऑप्शंस वॉल्यूम में 60 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, एवरेज डेली प्रीमियम में 18 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। F&O ऑर्डर वॉल्यूम में 25-30 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
Q4 में ब्रोकिंग सेक्टर पर असर
ICRA रिपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चौथी तिमाही में SEBI के सख्त नियमों का ब्रोकिंग सेक्टर पर गहरा असर पड़ा है। इस अवधि में ब्रोकिंग सेक्टर का नेट रेवेन्यू 19 फीसदी घटा है। वहीं, मुनाफा 26 फीसदी गिरा है। SEBI के सख्त नियमों का छोटे निवेशकों पर बड़ा असर दिखा है। 10,000 से कम टर्नओवर वाले सौदों में 49 फीसदी की कमी आई है। वहीं, 10,000 से एक लाख टर्नओवर में सालाना आधार पर 37 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
ICRA की रिपोर्ट में कहा कि दिसंबर में MTF एक्सपोजर 18 फीसदी घटकर 86,000 करोड़ रुपए पर रहा है। वहीं, मार्च 2025 में ये 71,000 करोड़ रुपए था। इसी तरह कैश मार्केट टर्नओवर 8 फीसदी घट कर 1.16 लाख करोड रुपए रहा है।
ICRA की रिपोर्ट कहती है कि शुरुआती गिरावट के बाद ऑप्शंस वॉल्यूम स्थिर हो रहे हैं। लंबे समय के कॉन्ट्रैक्ट्स पर फोकस बढ़ रहा है। सेबी के नए नियमों से सट्टेबाजी और उतार-चढ़ाव में कमी की उम्मीद है।