Sensex और Nifty फिर से रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाएंगे, सिर्फ इन 2 बातों का है इंतजार

मार्केट में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस हफ्ते लगातार दूसरे दिन मार्केट में गिरावट आई। Sensex 1100 से ज्यादा क्रैश कर गया। Nifty 340 अंक तक लुढ़क गया। बैंक निफ्टी में 640 अंक की कमजोरी देखने को मिली

अपडेटेड Feb 11, 2025 पर 3:28 PM
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निफ्टी 26,216 की अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है। निफ्टी नेक्स्ट 50 में 18 फीसदी गिरावट आई है।

क्या आप मार्केट में गिरावट से निराश हैं? अगर हां तो आपको रेमंड जेम्स इनवेस्टमेंट्स के चीफ मार्केटिंग स्ट्रेटेजिस्ट मैट ओर्टन की बातों पर गौर करने की जरूरत है। ओर्टन का मानना है कि मार्केट में इस उतारचढ़ाव की मुख्य वजह अमेरिकी सरकार की नई टैरिफ पॉलिसी है। उन्होंने कहा कि शॉर्ट टर्म में इसका मार्केट पर असर दिख रहा है। लेकिन, लंबी अवधि में इसका मार्केट पर असर नहीं पड़ेगा। उनकी यह बात इनवेस्टर्स खासकर रिटेल इनवेस्टर्स के लिए बहुत मायने रखती है जो अक्टूबर 2024 में मार्केट में जारी गिरावट से काफी मायूस हैं।

मिडकैप स्टॉक्स में ज्यादा गिरावट

निफ्टी 26,216 की अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है। निफ्टी नेक्स्ट 50 में 18 फीसदी गिरावट आई है। मिडकैप 150 इंडेक्स अपने ऑल-टाइम हाई से करीब 12 फीसदी गिरा है। उन इनवेस्टर्स को ज्यादा लॉस उठाना पड़ा है, जिन्होंने ज्यादा प्राइस पर शेयरों में निवेश किया था। उन्हें मार्केट में और गिरावट आने का डर है। इस हफ्ते लगातार दूसरे दिन मार्केट में बड़ी गिरावट आई। 11 फरवरी को Sensex 1100 से ज्यादा क्रैश कर गया। Nifty 340 अंक तक लुढ़क गया। बैंक निफ्टी में 640 अंक की कमजोरी देखने को मिली।


ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी सोचीसमझी रणनीति का हिस्सा

Matt Orton ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी उनकी व्यापक रणनीति का हिस्सा है। वह अमेरिकी कंपनियों के प्रोडक्ट्स की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इंडिया एक स्ट्रेटेजिक पार्टनर है और इंडिया के साथ डील होने की काफी ज्यादा उम्मीद है। अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के ऐलान से मार्केट में 5 फीसदी से ज्यादा गिरावट आने के बावजूद उन्होंने क्लाइंट्स को इस मौके का इस्तेमाल खरीदारी के लिए करने की सलाह दी है।

इंडियन मार्केट्स में निवेश के बड़े मौके

उन्होंने कहा कि जहां तक मार्केट ट्रेंड की बात है तो इंडिया ग्लोबल इकोनॉमिक स्लोडाउन से सुरक्षित रहा है। लेकिन, हाई वैल्यूएशन, सुस्त पड़ती इकोनॉमिक ग्रोथ और कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ का असर मार्केट के सेंटिमेंट पर पड़ा है। उन्हें इंडिया में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि चुनिंदा कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा रहा है। उन्होंने निवेशकों को इस गिरावट में निवेश करने के लिए पैसा तैयार रखने की सलाह दी।

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दूसरी छमाही में आएगी रिकवरी

ओर्टन का मानना है कि इंडियन मार्केट में रिकवरी के लिए दो चीजें जरूरी हैं। पहला, डॉलर में कमजोरी जरूरी है। आरबीआई ने इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने के लिए इंटरेस्ट रेट में कमी की है। लेकिन, इंडियन स्टॉक मार्केट्स में विदेशी निवेशकों का निवेश तब तक कमजोर बना रहेगा, जब तक डॉलर में कमजोरी नहीं आती है। उन्होंने कहा कि टैरिफ से जुड़ी डील होने और अर्निंग्स ग्रोथ बढ़ते ही इंडियन मार्केट में फिर से तेजी दिखने लगेगी। इसके लिए इस साल की दूसरी छमाही तक इंतजार करना पड़ सकता है।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Feb 11, 2025 3:12 PM

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