मशहूर निवेशक शंकर शर्मा (Shankar Sharma) ने EKI Energy Services की जांच नहीं होने पर चिंता जताई है। यह कंपनी अपने पूर्व ऑडिटर्स की जांच के घेरे में हैं। लेकिन, शर्मा ने सवाल उठाया है कि आखिर इस कंपनी की जांच क्यों नहीं हो रही है। इस बारे में शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सवाल पूछा है। उन्होंने कंपनी के फाइनेंशियल्स और स्टॉक प्राइसेज के स्क्रीनशॉट्स शेयर किए हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर कंपनी का नाम नहीं लिया है। अपने पोस्ट में उन्होंने कहा कि 'यह सही है कि चौदह मुल्कों की पुलिस ....' उनके इस पोस्ट का मतलब यह है कि यह ठीक है कि हैदराबाद की एक कंपनी के पीछे कई एजेंसियां पड़ी हैं, लेकिन इस इंदौर की कंपनी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। उन्होंने एक खास इनवेस्टर की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया है, जिसने दोनों ही कंपनियों में निवेश किया है।
ब्राइटन ग्रुप का मामला क्या है?
शर्मा ने हैदराबाद की जिस कंपनी का जिक्र किया है, उसका नाम Brighton Group है। इस कंपनी में शर्मा ने निवेश किया है। इंदौर की जिस कंपनी के बारे में उन्होंने बात की है, उसका नाम EKI Energy है। यह कंपनी मशहूर इनवेस्टर मुकुल अग्रवाल की है। सेबी ने 22 अगस्त को ब्राइटकॉम के सीएमडी और सीएफओ को बोर्ड में कोई पॉजिशन लेने से रोक दिया था। इस बारे में उसने अंतरिम आदेश 22 अगस्त को पारित किया था। इससे पहले इस कंपनी की जांच हुई थी, जिसमें उसके खिलाफ कई तरह की अकाउंटिंग गड़बड़ियां पाई गई थी। सेबी ने यह भी पाया था कि कंपनी ने बैंक अकाउंट में मैनिपुलेशन किया है। चह शेयरों के प्रिफरेंशियल अलॉटमेंट से जुड़ा है।
EKI Energy का बिजनेस क्या है?
SEBI ने शंकर शर्मा और दूसरी 22 एंटिटीज के ब्राइटकॉम ग्रुप के शेयर बेचने पर रोक लगा दी थी। अगस्त 2023 में ब्राइटकॉम के बोर्ड ने सुरेश रेड्डी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। वह कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर थे। हैदराबाद की यह कंपनी ऑनलाइन और डिजिटल मार्केटिंग सर्विसेज देती है। उधर, EKI Energy क्लाइमेट चेंज, कार्बन क्रेडिट और सस्टेनेबिलिटी सॉल्यूशंस सेवाएं देती है। इस कंपनी ने अपने ऑडिटर्स को इसलिए हटा दिया था, क्योंकि उन्होंने कंपनी की फाइनेंशियल रिपोर्टिंग के बारे में सवाल उठाए थे।
EKI Energy पर क्या हैं आरोप?
ऑडिटर्स की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक, EKI Energy ने कुछ खास तरह के खर्चों को गलती से एसेट्स की कैटेगिरी में डाला था। इससे कंपनी का प्रॉफिट बढ़ गया था। ऑडिटर्स ने कंपनी के कामकाज पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि इसे पहले लॉस हो चुका है। इसका नेटवर्थ 31,2021 को निगेटिव था। कंपनी ने इन आरोपों के जवाब दिए थे। उसने कहा था कि रेवेन्यू को सब्सटेंस ओवर फॉर्म ,ट्रांसफर ऑफ अंडरलाइंग एसेट और सैटिस्फेक्सन ऑफ परफॉर्मेंस आब्लिगेशन के सिद्धांत पर रिकॉग्नाइज किया गया है।