अमेरिका के चलते कब तक गिरेगा शेयर बाजार? कैसे वापस लौटकर आया मंदी का 'भूत'

Share Market Falls: शेयर बाजारों में गिरावट लौट आई है और एक बार फिर इसकी वजह अमेरिका बना है। निवेशक घबराए हुए हैं क्योंकि उन्हें अमेरिका में मंदी आने का डर लग रहा है। लेकिन क्या यह गिरावट की असली वजह है? निवेशकों को अब आगे क्या करना चाहिए और अमेरिका में मंदी का यह भूत कैसे वापस आकर खड़ा हो गया? आइए जानते हैं-

अपडेटेड Sep 04, 2024 पर 9:18 PM
Story continues below Advertisement
Share Market Falls: अमेरिका में मंदी आने की आशंका एक बार फिर तेज हो गई है

Share Market Falls: शेयर बाजारों में गिरावट लौट आई है और एक बार फिर इसकी वजह अमेरिका बना है। यूएस स्टॉक मार्केट में कल आई भारी गिरावट ने आज भारत और एशियाई शेयर बाजारों को लाल निशान में ढकेल दिया। निवेशक घबराए हुए हैं क्योंकि उन्हें अमेरिका में मंदी आने का डर लग रहा है। लेकिन क्या यह गिरावट की असली वजह है? निवेशकों को अब आगे क्या करना चाहिए और अमेरिका में मंदी का यह भूत वापस कैसे आकर खड़ा हो गया?

आज 4 सितंबर को भारतीय और एशियाई शेयर बाजार तेज गिरावट के साथ बंद हुए। टोक्यो और ताइपे के बाजार 4 प्रतिशत से ज्यादा गिर गए, जबकि सियोल में 3.2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। हांगकांग, सिडनी, और सिंगापुर के स्टॉक मार्केट में भी गिरावट का असर साफ दिखा। भारतीय बाजार भी इससे अछूते नहीं रहे। बीएसई सेंसेक्स में 203 अंकों की गिरकर और निफ्टी इंडेक्स 81 अंकों की गिरावट के साथ 25,200 के नीचे बंद हुआ। आखिर इसके पीछे रीजन क्या हैं?

US Recession: अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ी

निवेशकों की चिंता का सबसे बड़ा रीजन है अमेरिका का फैक्ट्री आउटपुट डेटा। अगस्त महीने में वहां का फैक्ट्री आउटपुट लगातार पांचवें महीना घटा है। इससे वहां मंदी आने की आशंका एक बार फिर तेज हो गई है। अभी तक ऐसी उम्मीद की जा रही थी फेडरल रिजर्व शायद अपनी अगली बैठक में ब्याज दरें घटाने का फैसला कर सकता है। लेकिन अब फैक्ट्री आउटपुट के डेटा को देखने के बाद ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कमजोर हो गई है और इस बात ने आज निवेशकों को परेशान किया। एनालिस्ट्स का कहना है कि अगर ब्याज दरें नहीं घटती हैं, तो अमेरिकी इकोनॉमी पर दबाव और बढ़ सकता है।


निवेशकों को दूसरा बड़ा झटका वॉल स्ट्रीट में हुई भारी बिकवाली के चलते लगा, जहां "जादुई 7" कहीं जाने वाली दिग्गज टेक कंपनियों के शेयर भरभराकर गिर गए। इस "जादुई 7" में एनवीडिया, एपल और एमेजॉन जैसी 7 बड़ी टेक कंपनियों के स्टॉक शामिल हैं, जिनकी मार्केट वैल्यू कई देशों की जीडीपी से भी अधिक है। इनमें सबसे बड़ी गिरावट Nvidia में आई।

Nvidia ने बनाया गिरावट का इतिहास

एनवीडिया का शेयर 10 प्रतिशत तक गिर गया, जिससे उसका मार्केट वैल्यू एक दिन 279 अरब डॉलर कम हो गया। 279 अरब डॉलर मतलब करीब 23 लाख करोड़ रुपये। यह किसी भी अमेरिकी कंपनी के मार्केट कैप में एक दिन में आई अबतक की सबसे बड़ी गिरावट आई। Nvidia का मार्केट कैप अब 2.65 लाख ट्रिलियन डॉलर है,जो दुनिया के 5-6 देशों को छोड़कर बाकी सभी की GDP से बड़ी राशि है। एनवीडिया के अलावा एपल, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के शेयरों में भी ऐसी ही तेज गिरावट देखने को मिली।

टेक कंपनियों के शेयरों में यह गिरावट इस चिंता के चलते आई कि AI चिप्स की मांग में आई उछाल अब धीमी हो सकती है। निवेशकों को लगने लगा है कि AI चिप्स की ग्रोथ अब अपनी अधिकतम सीम तक पहुंच गई है। इसके चलते अमेरिकी सेमीकंडक्टर इंडेक्स में 7.8% की गिरावट आई, जिससे चिप कंपनियों के शेयरों को भारी नुकसान हुआ।

भारतीय IT Stocks में क्यों आई गिरावट?

इसके अलावा अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी एक रिपोर्ट ने भी टेंशन बढ़ाई है, जिसके चलते आज भारतीय IT कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट देखी गई। इस रिपोर्ट को इंस्टीट्यूट फॉर सप्लाई मैनेजमेंट ने जारी किया है। इससे अगस्त महीने के दौरान अमेरिका के मैन्युफैक्चरिंग जारी रहने का संकेत मिल रहा है। इससे पहले जुलाई वहां मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां 8 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कमजोर आर्थिक संकेतों के चलते यूएस की कंपनियां नए निवेश करने से कतरा रही है।

अब आगे क्या हो सकता है?

निवेशक इस समय कुछ अहम आंकड़ों पर नजर बनाए हुए हैं, जिसमें सबसे अहम है अगस्त का नॉन-फार्म पेरोल डेटा है। यह अमेरिका में रोजगार से जुड़ा डेटा है, जो शुक्रवार को जारी होगा। इसके साथ ही, फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक 17-18 सितंबर को होने वाली है, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। ब्याज दरें घटेंगी या बढ़ेंगी, इस बैठक के बाद ही इस बारे में कोई तस्वीर साफ होगी।

एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?

Religare Broking के रिसर्च सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट, अजित मिश्रा का कहना है कि भारतीय शेयर बाजारों में बुल्स अभी भी मजबूत हैं। हालांकि, अगर ग्लोबल दबाव बढ़ता है, तो बाजार में थोड़ा कंसॉलिडेशन हो सकता है। ऐसे में निवेशकों को अपने स्टॉक सिलेक्शन और ट्रेड मैनेजमेंट पर फोकस करना चाहिए। मिश्रा के मुताबिक, निफ्टी का सपोर्ट जोन 24,850 से 25,000 के बीच मजबूत है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। अगर सही तरीके से रणनीति बनाई जाए तो आप इस गिरावट को भी एक अवसर में बदल सकते हैं।

यह भी पढ़ें- Share Buyback new Rules: 1 अक्टूबर से बदल जाएंगे शेयर बायबैक के टैक्स के नियम, जानिए आप पर पड़ेगा क्या असर

डिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।