Market today : कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच, भारतीय इंडेक्स निफ्टी 5 अगस्त को 24350 के नीचे खुला है। सेंसेक्स 1,310.47 अंक या 1.62 प्रतिशत की गिरावट के साथ 79,670 के आसपास और निफ्टी 404.40 अंक या 1.64 फीसदी की गिरावट के साथ 24,310 के करीब कारोबार कर रहा है। करीब 442 शेयरों में तेजी आई है। 2368 शेयरों में गिरावट आई है और 154 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। निफ्टी पर अपोलो हॉस्पिटल और सन फार्मा टॉप गेनर हैं जबकि मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, हिंडाल्को, टाइटन कंपनी और टाटा स्टील में सबसे ज्यादा गिरावट दिख रही है।
आइए आज के कारोबार में गिरावट लाने वाले प्रमुख कारकों पर डालें एक नजर -
अमेरिका के मंदी के दौर में प्रवेश करने की आशंका बढ़ गई है। क्योंकि मंदी का संकेत देने वाला साहम मंदी इंडीकेटर (Sahm Recession Indicator) 0.5 अंक से ऊपर दिख रहा है। ये मंदी की संभावना का संकेत है। लेकिन इस इंडीकेटर को ट्रिगर करने का क्या कारण थें? इस पर नजर डालें तो जुलाई में अमेरिका में नई नौकरियों में भर्ती में भारी गिरावट हुई है। इस अवधि में पिछले साल के 215,000 मासिक नौकरियों के औसत की तुलना में केवल 114,000 नौकरियां नई नौकरियां जुड़ीं। इसके अलावा, बेरोजगारी दर अक्टूबर 2021 के बाद से सबसे ज्यादा 4.3 फीसदी तक पहुंच गई है।
ग्लोबल मार्केट में तेजी मुख्य रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीदों पर आधारित थी। हालांकि मंदी के नए संकेतों के साथ ये उम्मीद धूमिल हो गई है। इसके चलते अमेरिकी बाजार शुक्रवार को औंधे मुंह गिर गए। ये दिन 2020 के बाद से उनका सबसे खराब दिन था।
2. बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीति
केवल अमेरिकी बाजार ही मंदी में नहीं हैं, जापान का निक्केई 225 भी संघर्ष कर रहा है। बैंक ऑफ जापान ने बुधवार को अपनी बेंचमार्क ब्याज दर बढ़ा दी है। इस बढ़ोतरी ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले जापानी येन के मूल्य को और बढ़ा दिया है। कम ब्याज दरों के चलते जापानी येन का इस्तेमाल "कैरी ट्रेड" नाम के विदेशी मुद्रा रणनीति के लिए किया जा रहा है। इसमें येन में उधार लेना और हाई यील्ड असेट्स में निवेश करना शामिल होता है। हालांकि, बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से, इस रणनीति को अपनाने वाले विदेशी मुद्रा ट्रेडर्स को परेशानी हो सकती है, जिससे ग्लोबल बाजारों में और भी उथल-पुथल मच सकती है।
मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है। ईरान, हमास और हिज़्बुल्लाह ने हमास प्रमुख और हिज़्बुल्लाह के सैन्य प्रमुख की इज़राइल द्वारा हत्या के खिलाफ़ जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है। मध्य पूर्व में किसी भी तरह की तनातनी से तेल की कीमतों में उछाल आएगा। हालांकि, मांग में कमी के कारण तेल की कीमतें वर्तमान में 8 महीने के निचले स्तर पर हैं। इसलिए, कच्चे तेल की कीमतों के संकेतों के लिए मध्य पूर्व पर बाजार की कड़ी नज़र रहेगी।
4 - पहली तिमाही के कमजोर नतीजे
मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि खराब डील माहौल, रिकॉर्ड हीटवेव और सुस्त मांग के बीच जून में समाप्त तिमाही के नतीजे कमजोर रहे हैं। इस अवधि के अब अब तक आए नतीजे सालाना आधार पर लगभग फीसदी कमजोर रहे हैं। अब तक अपने नतीजे जारी करने वाली निफ्टी 50 में शामिल 30 कंपनियों के आय में सालाना औसत 0.7 फीसदी की बढ़त देखने के मिली है। लेकिन मुनाफें में 9.4 फीसदी की तिमाही गिरावट आई है। ग्लोबल कमोडिटीज से तेज गिरावट के कारण समग्र प्रदर्शन पर निगेटिव असर देखने को मिला है।
एचडीएफसी बैंक, टाटा मोटर्स, आईसीआईसीआई बैंक, मारुति और टीसीएस जैसी दिग्गज कंपनियों ने निफ्टी 50 के समग्र प्रदर्शन को सपोर्ट किया। हालांकि, ग्रोथ की लीडरशिप मुख्य रूप से बीएफएसआई और ऑटो सेक्टर ने की है।
5. निकट भविष्य में किसी नए ट्रिगर्स का अभाव
अब निवेशक बाजार की आगे चाल का अंदाजा लगाने के लिए नतीजों के मौसम, बजट और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर देख रहे थे। हालांकि, इन सभी इवेंट्स के पूरे हो जाने के बाद, बाजारों में ऐसे किसी भी नए ट्रिगर्स का अभाव है जो तेजी को बढ़ा सकें।