Stock market : अगस्त में भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी तेरह साल के निचले स्तर पर आ गई। इस अवधि में NSE-लिस्टेड कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी घटकर 15.85 फीसदी रह गई। NSDL के आंकड़ों से पता चलता है भारतीय शेयरों में फॉरेन पोर्टफोलियो असेट्स एक महीने पहले के 71.97 लाख करोड़ रुपये से घटकर 70.33 लाख करोड़ रुपये पर आ गए हैं, यानी इसमें 2.3 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है।
जनवरी से अब तक विदेशी फंडों ने भारतीय बाजारों से लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं, जबकि बेंचमार्क सूचकांकों में मजबूती बनी हुई है। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों 2025 में अब तक लगभग 4 प्रतिशत चढ़े हैं।
घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बाजार को दिया बंपर सपोर्ट
दिलचस्प बात यह है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस साल भारतीय इक्विटी मार्केट में 5.2 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश किया है। इससे जून तिमाही में उनकी हिस्सेदारी रिकॉर्ड 17.82 प्रतिशत पर पहुंच गई है। प्राइम डेटाबेस के मुताबिक घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने पहली बार मार्च 2025 में विदेशी निवेशकों को पीछे छोड़ा था। यह बढ़ता अंतर इस बात का संकेत है कि अब घरेलू निवेशक भारतीय बाज़ारों के मुख्य आधार बन रहे हैं।
महंगे वैल्यूएशन और कॉर्पोरेट अर्निंग्स में कमजोरी ने बनाया दबाव
बाजार जानकारों का कहना है कि भारतीय बाजारों के महंगे वैल्यूएशन, कॉर्पोरेट अर्निंग्स में कमजोरी, अमेरिकी टैरिफ की परेशानी के साथ चीन और यूरोप जैसे सस्ते और बेहतर प्रदर्शन करने वाले बाजारों की तरफ बढ़ते रुझान के कारण भारतीय बाजारों से विदेशी पैसे की निकासी हो रही है। भारत सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है, लेकिन ग्लोबल फंड 'खरीदें और टिके रहें' की रणनीति न अपना कर टैक्टिकल एलोकेशन की रणनीति अपना रहे हैं।
इन सेक्टरों में हुई बिकवाली
अगस्त में फाइनेंशियल सेक्टर में एफआईआई ने भारी बिकवाली की है। इस सेक्टर में 23,300 करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली हुई है। इसके बाद आईटी (11,285 करोड़ रुपये) और तेल एवं गैस (6,100 करोड़ रुपये) का नंबप रहा। पावर (4,000 करोड़ रुपये), कंज्यूमर ड्यूरेबल्स(1,970 करोड़ रुपये), हेल्थ सर्विस (1,400 करोड़ रुपये), रियल्टी (1,245 करोड़ रुपये) और एफएमसीजी (1,100 करोड़ रुपये) में भी लगातार बिकवाली देखने को मिली।
इन सेक्टरों में हुई खरीदारी
दूसरी तरफ टेलीकॉम सेक्टर में सबसे ज्यादा खऱीदारी हुई। यहं विदेशी निवेशकों ने 5,766 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन मटेरियल (2,475 करोड़ रुपये), सर्विस सेक्टर (2,350 करोड़ रुपये), कैपिटल गुड्स और ऑटो (लगभग 1,800 करोड़ रुपये प्रत्येक), केमिकल (1,570 करोड़ रुपये) और कंस्ट्रक्शन (1,350 करोड़ रुपये) में भी निवेश किया गया।