Share Markets: आतंकी घटनाओं का आखिर मार्केट पर क्यों नहीं दिखता है असर?

Stock Markets: स्टॉक मार्केट्स पर 11 नवंबर को लाल किले के करीब हुए बम धमाकों का असर नहीं दिखा। ऐसा पहली बार नहीं है। पहले भी ऐसा हो चुका है। इस साल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के अगले दिन मार्केट में तेजी दिखी थी

अपडेटेड Nov 11, 2025 पर 3:21 PM
Story continues below Advertisement
बीते एक साल में मार्केट का रिटर्न कमजोर रहा है, लेकिन फंडामेंटल्स में इम्प्रूवमेंट दिखा है।

दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर की शाम हुए धमाके की खबर ने पूरे देश को हिला दिया। लेकिन, 11 नवंबर की सुबह स्टॉक मार्केट पर इसका ज्यादा असर नहीं दिखा। मार्केट के प्रमुख सूचकांकों पर आधा फीसदी से कम का दबाव दिखा, जो सामान्य है। इतना उतार-चढ़ाव मार्केट में दिखता रहता है। आतंकी हमलों और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बीच का तनाव चरम पर पहुंच जाने का भी ज्यादा असर स्टॉक मार्केट पर नहीं दिखा था।

इस साल 22 अप्रैल को पहलगाम में Terrorist Attack के अगले दिन स्टॉक मार्केट 0.6 फीसदी चढ़ा था। 10 मई, 2025 को संघर्षविराम होने तक मार्केट में करीब 1 फीसदी उतारचढ़ाव दिखा था। दरअसल, यह पहली बार नहीं था, जब इंडिया में आतंकी हमला हुआ था। कारगिल से लेकर बालाकोट तक निफ्टी में औसत गिरावट 5 फीसदी से कम रही। फिर संघर्षविराम होते ही मार्केट में उछाल देखने को मिला।

आखिर आतंकी हमलों का मार्केट पर असर नहीं पड़ने की वजह क्या है?


Share Market इस बात को समझ गया है कि लड़ाई और हमलों का असर सेंटीमेंट पर पड़ता है न कि फंडामेंटल्स पर। कम से कम लंबी अवधि के लिहाज से तो इसका फंडामेंटल्स पर कोई असर नहीं पड़ता है। और ऐसा सिर्फ इंडिया के मामले में नहीं है। दुनियाभर में अरब स्प्रिंग से लेकर रूस-यूक्रेन की लड़ाई तक में ऐसा देखा जा चुका है।

दिग्गज इनवेस्टर वॉरेन बफे ने कहा था कि दुनिया में बड़ी लड़ाई होने पर आप अपने स्टॉक्स की कीमतों की चिंता नहीं करेंगे, क्योंकि आपके पास चिंता करने के लिए बड़े मसले होंगे।

अगर हम डेटा की बात करें तो दूसरी तिमाही के कंपनियों के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक, सितंबर तिमाही में डाउनग्रेड के मुकाबले अपग्रेड की संख्या ज्यादा रही है। ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ साल दर साल आधार पर 14 फीसदी रही है।

अब तक निफ्टी 50 की 27 कंपनियों ने अपने नतीजों का ऐलान किया है। साल दर साल आधार पर रेवेन्यू की ग्रोथ 9 फीसदी रही है, जबकि अनुमान 7 फीसदी का था। EBITDA 5 फीसदी बढ़ा है, जबकि अनुमान भी 5 फीसदी था। टैक्स बाद प्रॉफिट (PAT) 5 फीसदी बढ़ा है, जबकि अनुमान 6 फीसदी था।

मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक, सितंबर तिमाही में 151 कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ साल दर साल आधार पर 8 फीसदी रही। EBITDA 13 फीसदी बढ़ा। टैक्स से पहले प्रॉफिट (PBT) 13 फीसदी बढ़ा। टैक्स बाद प्रॉफिट (PAT) 14 फीसदी बढ़ा। इसका मतलब है कि इन कंपनियों के नतीजे अनुमान से बेहतर रहे, क्योंकि रेवेन्यू ग्रोथ 5 फीसदी, एबिड्टा की ग्रोथ 8 फीसदी, टैक्स से पहले प्रॉफिट ग्रोथ 7 फीसदी और टैक्स बाद प्रॉफिट 9 फीसदी बढ़ने का अनुमान था।

बीते एक साल में मार्केट का रिटर्न कमजोर रहा है, लेकिन फंडामेंटल्स में इम्प्रूवमेंट दिखा है। यही बात वैल्यूएशंस में भी दिखी है। मार्केट पर आतंकी घटनाओं का असर नहीं पड़ने की दूसरी वजह भरपूर लिक्विडिटी है। म्यूचुअल फंड्स में जबर्दस्त निवेश जारी है। यह ट्रेंड फिलहाल बदलने वाला नहीं है, क्योंकि म्यूचुअल फंड्स देश में परिवारों की सेविंग्स की पहली पसंद बन गए हैं। इसका मतलब है कि म्यूचुअल फंड्स के जरिए शेयरों में होने वाले निवेश पर मार्केट के उतारचढ़ाव का असर पड़ने वाला नहीं है।

बाजार पर डर हावी नहीं होने की दूसरी विदेश फंडों का निवेश है। विदेशी फंडों की बिकवाली अब कम होती दिख रही है। विदेशी फंड अब चुनिंदा स्टॉक्स में खरीदारी कर रहे हैं। उभरते बाजारों के मुकाबले इंडियन मार्केट्स का प्रीमियम अब लंबी अवधि के औसत के करीब आ गया है। इससे इंडियन मार्केट्स दो साल पहले जितना महंगे नहीं रह गए हैं।

कुछ और चीजें हैं जो इंडिया को अलग खड़ा करती हैं। इनफ्लेशन इनमें से एक है। इनफ्लेशन रिकॉर्ड लो लेवल पर आ जाने के बाद यह माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक इंटरेस्ट रेट में कमी कर सकता है। ग्लोबल मार्केट्स में जहां हालात अनिश्चित दिख रहे हैं, इंडिया में कंपनियों की अर्निंग्स बढ़ती दिख रही है। अमेरिका के साथ ट्रेड डील के लिए बातचीत चल रही है। जियोपॉलिटिकल टेंशन के बावजूद ऑयल की कीमतों में नरमी बनी हुई है।

यह भी पढ़ें: Tata Motors PV के शेयर धड़ाम, स्टॉक मार्केट में कॉमर्शियल बिजनेस की लिस्टिंग से पहले आई बिकवाली की आंधी

मार्केट्स हमें कुछ खास बात बताना चाहता है-उसने जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया दिखान बंद कर दिया है। आतंकी घटनाओं का असर नहीं पड़ने से मार्केट के कॉन्फिडेंस का पता चलता है। इसका मतलब यह नहीं कि रिस्क खत्म हो गया है। बफे ने कहा था, "सबसे अच्छा खुद को तैयार रखना है। लेकिन युद्ध के लिए नहीं- मौकों के लिए।" अगर आपको झटका लगता है तो आपको पता होना चाहिए कि किस तरफ भागना है और कहां छुपना है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।