मार्केट के कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह स्मॉलकैप और माइक्रो कैप स्टॉक्स में प्रॉफिट बुक करने का अच्छा समय है। इनवेस्टर्स इसमें से कुछ पैसा उन मिड और लार्जकैप स्टॉक्स में कर सकते हैं, जिनका प्रदर्शन हालिया रैली में कमजोर रहा है। कुछ एक्सपर्ट्स उसके उलट भी सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले स्टॉक्स की अर्निंग्स को लेकर अब भी तस्वीर साफ नहीं है। ऐसे में लार्जकैप स्टॉक्स में आप निवेश कर सकते हैं, लेकिन आपको इनसे फटाफट मुनाफे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
इस स्टॉक में किसी तरह की सुस्ती नहीं दिख रही। दूसरी तिमाही में कंपनी का प्रदर्शन प्रॉफिट, रेवेन्यू और EBITDA के मोर्चे पर सबसे शानदार रहा है। इससे यह साफ हो गया है कि कंपनी के प्रदर्शन पर बढ़ते कॉम्पिटिशन का असर नहीं पड़ा है। आयशर मोटर्स को कस्टमाइजेशन, व्यापक नेटवर्क, नए प्रोडक्ट्स और बढ़ते एक्सपोर्ट का फायदा मिला है। जुलाई में Hero-Harley और Bajaj-Triumh की खबर ने आयशर मोटर्स के शेयरहोल्डर्स को निराश कर दिया था। शेयरों की कीमतों पर इसका असर दिखा था। लेकिन, इस स्टॉक ने धीरे-धीरे बढ़ना शुरू किया और अब यह अपने 52 हफ्ते के हाई से सिर्फ 5 फीसदी दूर रह गया है। Bajaj ने अपने ऐड में परोक्ष रूप से कहा है बुलेट चला रहे लोगों से कहा है 'हाथी मत पालो'। लेकिन ऐसा लगता है कि इस हाथी को हटाने वाला कोई नहीं है। इसके पैर मजबूती से टिके हुए हैं।
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि Tata Motors अगले साल मार्च तक अपना कर्ज 30 फीसदी तक घटाने में कामयाब रहेगी। कर्ज में कमी के अनुमान के साथ ही JLR की बढ़ती बिक्री की वजह से इस स्टॉक में पूरे साल तेजी रही। इस दौरान यह 65 फीसदी चढ़ा है। लेकिन, कुछ बेयर्स को अब भी इस पर भरोस नहीं हो रहा। Helios Capital के समीर अरोड़ा का मानना है कि टाटा मोटर्स का पूंजीगत खर्च बहुत ज्यादा है। उनका कहना है, "पांच साल तक आपको हर साल करीब 3 अरब डॉलर खर्च करने होंगे। कोई यह नहीं बता रहा कि इसके क्या फायदे होंगे?" उन्होंने कहा कि कारें पहले भी बन रही थीं। अब भी बन रही हैं। कोई यह नहीं कह रहा कि अब आपका मार्जिन ज्यादा रहेगा।
देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी के दूसरी तिमाही के नतीजे अच्छे नहीं रहे। इस साल की पहली छमाही में नए बिजनेस की वैल्यू (VNB) 10 फीसदी घटी है। चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि कुछ प्रोडक्ट्स में बदलाव की वजह से VNB पर असर पड़ा है। LIC के स्टॉक्स में अब भी उसके इश्यू प्राइस से कम पर कारोबार हो रहा है। कंपनी ने आईपीओ में निवेशकों को 949 रुपये की कीमत पर शेयर जारी किए थे। पिछले कुछ समय से यह स्टॉक्स सीमित दायरे में बना हुआ है। एलआईसी की घटती बाजार हिस्सेदारी इसके शेयरों पर पड़ने का अनुमान है।
दूसरी तिमाही के नतीजों के बाद यह स्टॉक 1.8 फीसदी गिरा है। SUV सेगमेंट में कंपनी की घटती बाजार हिस्सेदारी से मार्केट चिंतित है। लेकिन, कंपनी को इसकी चिंता नहीं है। कंपनी का मानना है कि उसका फोकस रेवेन्यू पर है न कि वॉल्यूम पर। इसमें कुछ दम है, क्योंकि M&M का एवरेज प्राइस प्वाइंट इसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से ज्यादा है। दूसरी बात यह है कि एमएंडएम ने पहले भी मार्केट शेयर में गिरावट का सामना किया था, लेकिन वह उसे फिर से हासिल करने में कामयाब रही। अभी वैल्यूएशन हाई लेवल पर दिख रहा है। ऐसे में अगर मारुति जैसी प्रतिद्वंद्वी का मार्केट शेयर तेजी से बढ़ता है तो इनवेस्टर्स का धैर्य चूक सकता है।