अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के मिनट्स से संकेत मिला है कि इंटरेस्ट रेट में जल्दी कमी की उम्मीद नहीं है। लेकिन, हाल में विकसित बाजारों में मुश्किल का असर भारतीय शेयर बाजार पर नहीं पड़ा है, जिससे इंडिया में मार्केट प्लेयर्स इससे (यूएस रेट कट) परेशान नहीं हैं। लार्जकैप स्टॉक्स में दिलचस्पी नहीं दिख रही है, जबकि स्मॉलकैप और माइक्रो-कैप स्टॉक्स में खरीदारी जारी है।
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पिछले एक महीने में यह स्टॉक करीब 16 फीसदी चढ़ा है। इस स्टॉक को लेकर टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिस्ट्स की राय अलग-अलग है। Elara ने इस स्टॉक की रेटिंग घटाई है। उसने 'एक्युमुलेट' से अपनी राय बदलकर 'सेल' कर दी है। इसकी वजह एक बड़े ऑर्डर का स्थगित होना है। इसका असर कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ पर पड़ेगा। लेकिन, ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर ने इस स्टॉक को खरीदने की सलाह दी है। उसने इसके लिए 907 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है। उसने कहा है कि RSI ने ओवरसोल्ड जोन से ट्रेंड पलटने का संकेत दिया है।
AI के इस्तेमाल में दिलचस्पी
OpenAI में नेतृत्व का मसला बीते हफ्ते सुर्खियों में रहा। इधर, कई भारतीय कंपनियां अपने कामकाज में AI का इस्तेमाल बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। Wipro ने NVIDIA के साथ समझौते का ऐलान किया है। इसके तहत कंपनी हेल्थकेयर इंश्योरेंस कंपनियों को जेनरेटिव AI ऑफर करेगी। लेकिन, आईटी सेक्टर को लेकर सावधानी बरती जा रही है। ऐसे में AI की काफी चर्चा के बावजूद निवेशक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि AI का कंपनियों के मुनाफे पर कितना असर पड़ सकता है।
21 नवंबर को यह स्टॉक 7 फीसदी गिरा। पिछले महीने इस स्टॉक में करीब 36 फीसदी मजबूती आई है। ब्रोकरेज फर्म Kotak Institutional Equities ने केपीआईटी टेक्नोलॉजीज के स्टॉक्स को बेचने की सलाह दी है। उसका कहना है कि इस स्टॉक का प्रीमियम वैल्यूएशन वाजिब नहीं है। निवेशकों का यह भी कहना है कि Tata Technologies के आईपीओ की वजह से निवेशकों को इस सेक्टर पर दांव लगाने के लिए एक विकल्प मिला है।
इस कंपनी का बाजार पूंजीकरण 3 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। ज्यादा वैल्यूएशन के बावजूद इस स्टॉक में तेजी जारी है। दूसरी तिमाही के नतीजों के बाद टाइटन के स्टॉक को लेकर सेंटिमेंट बेहतर हुआ है। ज्यादातर एनालिस्ट्स ने ज्वेलरी बिजनेस के बेहतर आउटलुक की संभावना जताई है। लेकिन, Dolat Capital की राय थोड़ी अलग है। उसने इस स्टॉक को बेचने की सलाह दी है। उसका मानना है कि डायमंड के प्राइसेज में आई तेज गिरावट का असर ज्वेलरी कंपनियों के मुनाफा कमाने की क्षमता पर पड़ सकता है। हालांकि, कंपनी के मैनेजमेंट का कहना है कि इसका उस पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।