मार्केट दिशा तलाशने की कोशिश कर रहा है। गुरुवार को Sensex और Nifty50 में लगातार पांचवें सत्र गिरावट देखने को मिली। ट्रे़डर्स थके लग रहे हैं। लेकिन, वे निराश नहीं हैं, क्योंकि ऐसा लगता है कि मार्केट जल्द अपने निचले स्तर से बाहर निकलने की कोशिश कर सकता है। इस स्थिति को देखते हुए 2010 और 2014 के बीच के फेज की याद आती है। तब हाई इनफ्लेशन, प्रॉफिट के कमजोर आंकड़ों और दुनिया में खराब खबरों के बीच शेयरों में गिरावट आ रही थी। हालांकि, उस दौरान भी कुछ स्टॉक्स ने अच्छा परफॉर्म किया था। यह एक्टिव फंड मैनेजर्स के लिए अपनी फीस को सही ठहराने का अच्छा मौका हो सकता है।
रिसर्च हाउस Berntein इंडिया को लेकर बेयरिश सोच रखने वाले कुछ Contrarian Voices में शामिल है। यह संभवत: एकमात्र फर्म थी, जिसने कहा ता कि बजट में सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्टर खर्च बढ़ाने का जो ऐलान किया है, वह कैलकुलेशन करने के बाद बहुत ज्यादा नहीं दिखता है।
हालिया गिरावट के दौरान सीमेंट शेयरों का प्रदर्शन दूसरे शेयरों के मुकाबले अच्छा रहा है। कंपनियों ने कुछ मार्केट्स में कीमतें बढ़ाई हैं। इससे अब सीमेंट शेयरों के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद रखने वाले एनालिस्ट्स की संख्या बढ़ रही है। हालांकि, CRISIL ने इस बारे में सावधानी बरतने की सलाह दी है। उसने एक सवाल पूछा है। सवाल यह है कि भले ही डिमांड मजबूत है और कंपनियों के पास कीमतें बढ़ाने की क्षमता है, लेकिन क्या उनका प्रॉफिट उतना रहेगा, जितना बीती तिमाहियों में देखने को मिला है? क्रिसिल का कहना है कि इसकी उम्मीद कम है।
2023 की शुरुआत से स्टील वापसी करता दिख रहा है। कुछ विदेशी ब्रोकिंग फर्मों ने स्टील सेक्टर के बारे में बुलिश रिपोर्ट दी हैं। सीमेंट कंपनियों के शेयरों में थोड़े समय के लिए मजबूती दिखी थी। लेकिन, उसके बाद से इस पर ब्रेक लग गया। अब तो ज्यादातर शेयरों ने अपनी मजबूती भी गंवा दी है। इसकी वजह? ऐसा लगता है कि स्टील के साथ भी वही प्रॉब्लम है, जिसका सामना अभी सीमेंट सेक्टर करता दिखाई देता है।
बैंकों के शेयरों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है। लोकिन, इस सेक्टर को लेकर राय बनाने से पहले IDFC First के वी वैद्यनाथन के बयान को देख लेना जरूरी है। उन्होंने गुरुवार को सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत में कहा कि क्रेडिट डिमांड बहुत स्ट्रॉन्ग है। करेंट साइकिल में बैंकों का प्रदर्शन अच्छा रहेगा।
हाल में निफ्टी में डिप-ऑउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शंस की संख्या में तेज उछाल दिखा है। हालांकि, इसने पुट-कॉल-रेशियो का डेटा बदल दिया है। लेकिन, हो सकता है कि यह बहुत ऑप्टिमिस्टिक और बहुत पेसिमिस्टिक बायर्स और राइटर्स के असल मकसद का संकेकत नहीं देता हो। हालांकि डेरिवेटिव इसे बहुत ट्रैक करते हैं। इसकी बड़ी वजह टैक्स प्लानिंग हो सकती है। दरअसल, यह फाइनेंशियल खत्म होने जा रहा है। जनको ऐसे ट्रेड पर ज्यादा लॉस हुआ है वे अपने कैपिटल गेंस के साथ इसे ऑफसेट करेंगे। और जिन्हें बहुत ज्यादा प्रॉफिट हुआ है वे अपनी कुछ अवैध कमाई की साफ-सफाई करने की कोशिश करेंगे। रेगुलेटर्स लंबे समय से इस प्रैक्टिस पर रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, उन्हें ज्यादा कामयाबा नहीं मिली है।