निफ्टी 50 में तेजी तभी लौटेगी जब प्राइवेट बैंकों का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। इसकी वजह यह है कि निफ्टी 50 में प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी (वेटेज) 39 फीसदी है। इसलिए मार्केट की करीबी नजरें प्राइवेट बैंकों की अर्निंग्स और एसेट क्वालिटी पर लगी हैं। लेकिन, बैंक मार्जिन प्रेशर और सुस्त डिपॉजिट ग्रोथ से उबरते दिख रहे थे तभी एक नई क्राइसिस सामने आ खड़ी हुई है। यह माइक्रो फाइनेंस सेक्टर की क्राइसिस है। माइक्रो फाइनेंस इस्टीट्यूशंस (एमएफआई) आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में आने वाले लोगों को लोन देते हैं। एमएफआई सेगमेंट में डिफॉल्ट बढ़ रहा है। कलेक्शन रेट घट रहा है। ग्राहकों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है। यह बैंकिंग सेक्टर के लिए खराब संकेत है। इसका असर बैंकों की एसेट क्वालिटी पर पड़ेगा।