शेयर बाजार आमतौर पर मंदी के दौरान एक बीयर फेज में चला जाता है, जहां स्टॉक लगातार गिर रहे होते हैं या पहले से ही अपने निचले स्तर पर होते हैं। निवेशक आमतौर पर ऐसे बाजार में नया निवेश करने को लेकर सतर्क रहते हैं क्योंकि स्टॉक कीमतों में और गिरावट की संभावना बनी रहती है। ऐसे में कई निवेशक बाजार से दूरी भी बना लेते हैं। इससे भी निराशाजनक स्थिति को जो चीज जटिल बनाती है, वह यह है कि मंदी खत्म होने की कोई तारीख नहीं होती है। यह कुछ महीनों तक भी जारी रह सकती है या कई सालों तक भी खींच सकती है।
बीयर मार्केट को देखने का एक और नजरिया यह है कि इस समय ऐसे शेयरों की तरफ देखा जाए, जो अपनी वाजिब वैल्यूशएन से कम कीमत पर उपलब्ध है। हालांकि यहां ध्यान रखना चाहिए कि बाजार में डिस्काउंट पर मिल रही हर चीज अच्छी नहीं होती है। निवेशकों को सिर्फ इस वजह से शेयर खरीदने से बचना चाहिए कि वह सस्ता है। हालांकि अगर मंदी के दौर में निवेशक सही रणनीति बनाकर डिस्काउंट पर मिल रहे क्वालिटी शेयरों को खरीदते हैं, तो वह लंबी अवधि में उनके लिए एक शानदार मुनाफे का सौदा हो सकता है।
मंदी में शेयर क्यों गिरते हैं?
जब निवेशक मंदी की आशंका जताते हैं तो शेयर बाजार उस पर अपनी प्रतिक्रिया देता है। शेयरों की कीमत समझाने वाली अवधारणाओं में से एक का कहना है कि यह भविष्य के कैश फ्लो का वह वर्तमान कीमत बताती, जो कंपनी कमा सकती है। मंदी का मतलब है कि भविष्य में बिक्री का कम होना और कंपनियों का मुनाफा घटना। इससे भविष्य के कैश फ्लो का वर्तमान मूल्य कम हो जाता है और यह शेयर की कीमतों में गिरावट में तब्दील हो जाता है।
लंबी अवधि के निवेशकों को ध्यान देना चाहिए कि यह दुनिया कई बार मंदी का सामना कर उबर चुकी है और उसके साथ शेयर बाजार भी। आमतौर पर, शेयर बाजार में बदलाव से आर्थिक चक्र में बदलाव होता है। इसका मतलब है कि शेयर बाजार पहले गिरेगा, और फिर अर्थव्यवस्था में मंदी या मंदी का असर होगा। हालांकि, शेयर बाजार में कोई भी गिरावट निवेशकों के लिए कम कीमतों पर स्टॉक खरीदने का एक मौका होता है। खासतौर से लंबी अवधि के निवेशकों के लिए। हालांकि इस समय जो निवेशक पैसा लगाने का साहस करते हैं, उनके भी मन में कई तरह के सवाल बन रहते हैं- कब निवेश करें और निवेश करने की रणनीति क्या हो? क्या निवेशक मंदी के दौर में इस चीज का सही आकलन कर सकते हैं बाजार कब अपने सब कम कीमत पर है? हालांकि इस सवाल का जवाब खोजना काफी आकर्षक हो सकता है, लेकिन इनवेस्टमेंट प्रोफेशनल्स (फंड मैनेजर्स आदि) इस तरह के कदम के खिलाफ सलाह देते हैं क्योंकि निवेश करने के लिए सही समय की सटीक भविष्यवाणी करने का कोई फॉर्मूला नहीं है।
आमतौर पर निवेशकों की तरफ से निवेश के लिए दो मुख्य रणनीतियों का पालन किया जाता है।
इस रणनीति के तहत निवेशक किसी व्यक्तिगत शेयर में निवेश करने के बजाय म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं। जब शेयर बाजार एक मंदी के दौर से उबरता है, तो रिकवरी आमतौर पर व्यापक-आधारित होती है (कई स्टॉक एक साथ ऊपर जाते हैं)। डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड में निवेश करना बेहतर होता है क्योंकि निवेशक कुछ चुनिंदा शेयरों पर दांव लगाने के बजाय इस तरह की व्यापक रिकवरी से लाभ उठा सकते हैं। इस रणनीति से मिलने वाला रिटर्न, कुछ व्यक्तिगत शेयरों पर मिलने वाले रिटर्न से कम हो सकता है। हालांकि इसमें जोखिम कम होता है और यह आपको किसी एक व्यक्तिगत खराब शेयर पर दांव लगाकर पैसा डुबाने से बचाता है।
यह रणनीति केवल उन निवेशकों के लिए उचित है जिनके पास शेयर बाजार को लेकर पर्याप्त ज्ञान है कि यह कैसे काम करता है और कीमतों में कैसे उतार-चढ़ाव आता है। यह उन निवेशकों के लिए भी उचित है जो अधिक जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं या वित्तीय संकट में आए नुकसान को सहने की क्षमता रखते हैं।
अधिक जानकार निवेशक जो कंपनियों पर काफी रिसर्च करते हैं, निवेश के लिए व्यक्तिगत स्टॉक चुनने के लिए बेहतर स्थिति में होते हैं। कुल मिलाकर, मंदी लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए, शेयर बाजार में डिस्काउंट पर शेयर खरीदने का एक मौका देती है। लेकिन इस तरह के निवेश लंबी अवधि के लिए होने चाहिए, और निवेशकों को एक अच्छी रणनीति के साथ पैसा लगाना चाहिए जो उनकी निवेश शैली और शेयर बाजार के ज्ञान के अनुकूल हो।
- मनीकंट्रोल के लिए यह आर्टिकल इनवेस्टमेंट रिसर्च एंड एडवाइजरी फर्म Aranca के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट निखिल साल्वी ने लिखा है।