बाजार में दिख रहे थकान के लक्षण, अगली तेजी के पहले आ सकता है करेक्शन

एक्सिस सिक्योरिटीज के नवीन कुलकर्णी का कहना है कि इक्विटी मार्केट की वर्तमान तेजी आगे भी बनी रह सकती है लेकिन निवेशकों को सलाह होगी कि अब वर्तमान स्तरों पर वह कुछ मुनाफा भुना लें

अपडेटेड Sep 17, 2022 पर 1:15 PM
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HDFC Securities के दीपक जसानी का कहना है कि भारतीय बाजार ने दुनिया के दूसरे बाजार की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है। इसमें आगे भी तेजी देखने को मिलेगी

Ashutosh Joshi, Abhishek Vishnoi and Akshay Chinchalkar

हाल में भारतीय बाजारों में अच्छी तेजी देखने को मिली है। विदेशी निवेश की आवक बढ़ने और इकोनॉमी में ग्रोथ के कारण स्टॉक मार्केट में जोरदार तेजी आई थी। लेकिन तमाम बाजार जानकारों का कहना है कि अब ये तेजी ठंडी पड़ सकती है। गौरलतब है कि भारत के स्टॉक मार्केट के लगभग सभी इंडेक्स अपने रिकॉर्ड लेवल के आसपास पहुंच चुके हैं। इस तिमाही में लगभग 12 फीसदी की तेजी के साथ सेंसेक्स दुनिया के सबसे बेहतर इंडेक्सों में रहा है। इस तेजी के बाद अब तमाम निवेशकों को लग रहा है कि बाजार में चेतावनी की घंटियां बज रही हैं और अब कुछ गिरावट देखने को मिल सकती है।

एक्सिस सिक्योरिटीज के नवीन कुलकर्णी का कहना है कि इक्विटी मार्केट की वर्तमान तेजी आगे भी बनी रह सकती है लेकिन निवेशकों को सलाह होगी कि अब वर्तमान स्तरों पर वह कुछ मुनाफा भुना लें। निवेशकों की सलाह है कि अगर उनके जेब में पैसा रहेगा तो वह वर्तमान लेवल से आने वाले किसी करेक्शन में नया निवेश कर सकेंगे।


अगस्त में इंडिया इंक का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 59 फीसदी गिरकर 1.03 अरब डॉलर पर: RBI data

यहां हम ऐसे 4 चार्ट्स से पर नजर डाल रहे हैं जिससे अब बाजार के थकने के संकेत मिल रहे हैं। इनमें से पहला यह है कि हाल के दिनों में हमें घरेलू म्यूचुअल फंडों की तरफ से होने वाला निवेश कम होता नजर आया। अगस्त के महीने में घरेलू फंडों ने इक्विटी में 61 अरब रुपये यानी 76.5 करोड़ डॉलर डालें है जो अक्टूबर 2021 के बाद कै सबसे निचला स्तर है। यह बाजार के लिए एक चेतावनी है।

Slowing Flows | Monthly inflows to equity mutual funds have eased

दूसरी चेतावनी बॉन्ड मार्केट की तरफ से आ रही है। दुनिया के तमाम बड़े बैंकों की तरफ से महंगाई पर नकेल कसने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा रही है। ऐसे में लॉन्ग टर्म इंडियन गर्वमेंट बॉन्ड यील्ड में हाल के दिनों में फिर से उछाल देखने को मिला है और इसी दौरान कॉर्पोरेट अर्निंग प्रति शेयर में स्टॉक प्राइस में बढ़ोतरी के बावजूद गिरावट देखने को मिली है। जिसके चलते बॉन्ड के मुकाबले इक्विटी मार्केट कम आर्कषक हो रहा है।

India bond vs equity ratio has extended its gap over long term average

इस समय तीसरी खतरे की घंटी MSCI इंडिया इंडेक्स की तरफ से आ रही है। MSCI इंडिया इंडेक्स का प्राइस टू अर्निंग रेशियो MSCI वर्ल्ड इंडेक्स की तुलना में 50 फीसदी प्रीमियम पर दिख रहा है। Bloomberg के आंकड़ों के मुताबिक ऐसी ही स्थिति पिछले वित्तीय सकंट के दौरान बनी थी। यह भारतीय इक्विटी मार्केट के लिए शुभ संकेत नहीं है।

MSCI India Index is most expensive versus the world since 2008

एक दूसरे बड़े मार्केट इंडिकेटर बीएसई मिडकैप इंडेक्स के चार्ट पर नजर डालें तो इसमें लगतार तेरहवें हफ्ते बढ़त देखने को मिली है। अब यह हमें थकता नजर आ रहा है। वहीं पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो अपने पीक परपहुंचने के बाद बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 4 हफ्तों में 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। ऐसे में अब हमें बीएसई मिडकैप इंडेक्स से भी अलर्ट साउंड आता दिख रहा है।

BSE Midcap Index has rallied for 13 consecutive weeks

HDFC Securities के दीपक जसानी का कहना है कि भारतीय बाजार ने दुनिया के दूसरे बाजार की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है। इसमें आगे भी तेजी देखने को मिलेगी। हालांकि तेज दौड़ने के पहले ये बीच में राहत की सांस लेता नजर आ सकता है।

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MoneyControl News

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First Published: Sep 17, 2022 12:36 PM

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