स्टॉक मार्केट के लिए बुधवार (2 अगस्त) का दिन बहुत खराब रहा। सुबह में मार्केट कमजोरी के साथ खुला। लेकिन, दोपहर तक बाजार पर जिस तरह से बेयर्स ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) रेटिंग्स के अमेरका की सॉवरेन रेटिंग घटाने की खबर ने बाजार में कत्लेआम मचा दिया। दिन में 1: 46 बजे बीएसई का प्रमुख सूचकांक Sensex 954 अंक यानी 1.44 फीसदी गिरकर 65,505 अंक तक फिसल गया था। NSE के प्रमुख सूचकांक Nifty में भी 291 यानी 1.48 फीसदी की गिरावट आई। यह 19,440 अंक पर था। एक दिन की इस गिरावट ने सेंसेक्स और निफ्टी को तीन हफ्ते के निचले स्तर पर ला दिया है। फिच रेटिंग के अमेरिका की सॉवरेन रेटिंग घटाने की खबर 1 अगस्त को आई थी। लेकिन, इस खबर का मार्केट पर इतना ज्यादा असर पड़ेगा, इस बारे में किसी को पता नहीं था।
मार्च के आखिर के बाद से बाजार में सबसे बड़ी गिरावट
Swastika Investment के हेड ऑफ रिसर्च संतोष मीणा ने कहा कि अमेरिकी सॉवरेन रेटिंग में कमी का इंडियन मार्केट पर मामूली असर पड़ने का अनुमान था। आम तौर पर रेटिंग में कमी का इतना ज्यादा असर नहीं पड़ता है। ऐसा लगता है कि बुधवार को आई गिरावट की असल वजह प्रॉफिट बुकिंग थी। अमेरिकी सॉवरेन रेटिंग में कमी ने इनवेस्टर्स को प्रॉफिट बुक करने का मौका दे दिया। उन्होंने कहा कि मार्केट में लगातार आई तेजी से इसके थकने के संकेत मिल रहे थे। मार्केट मार्च के अपने निचले स्तर से 15 फीसदी से ऊपर चढ़ चुका है।
मार्केट पार्टिसिपेट्स बरत रहे हैं सावधानी
उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों का रुख पिछले कुछ दिनों से बदलता दिख रहा है। इससे पता चलता है कि मार्केट पार्टिसिपेंट्स सावधानी बरत रहे हैं। अगर निफ्टी अपने 20 दिन के मूविंग एवरेज से नीचे चला जाता है तो बाजार में और गिरावट आ सकती है। निफ्टी गिरकर 19,300 और 18,888 के लेवल तक जा सकता है। पिछले करीब चार महीनों से मार्केट में लगातार तेजी देखने को मिली है। अमेरिकी बाजार की तरह इंडियन मार्केट ने पिछले हफ्तों में लगातार ऊंचाई के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। इस लिहाज से जुलाई का महीना मार्केट के लिए शानदार रहा है।
इन शेयरों और सेक्टर में सबसे ज्यादा कमजोरी
आज की गिरावट में बैंकिंग शेयरों और रिलायंस इंडस्ट्रीज का बड़ा हाथ रहा। उधर, HUL, Asian Paints और Nestle के शेयरों ने बाजार को सहारा देने की कोशिश की। हीरो मोटोकॉर्प के शेयरों में बड़ा दबाव देखने को मिला। एफएमसीजी, एनर्जी, आईटी, मेटल और फॉर्मा में भी बिकवाली हुई। खास बात यह है कि आज की गिरावट कई एशियाई बाजारों में दिखी। इनमें जापान, साउधर, कोरिया और हांगकांग शामिल रहे।
गिरावट की तीन मुख्य वजहें:
1. अमेरिकी सॉवरेन रेटिंग में कमी
फिच ने अमेरिका की सॉवरेन रेटिंग AAA से घटाकर AA+ कर दी है। हालांकि, यह खबर 1 अगस्त को आई थी। इसका अमेरिकी बाजार पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा था। अमेरिकी मार्केट के प्रमुख सूचकांक डाओ जोंस बगैर किसी खास बदलाव के बंद हुआ था। एसएंडपी 500 और नैस्टेडक में 0.4 फीसदी तक की गिरावट आई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फिच की चिंता अमेरिकी सरकार पर कर्ज का बढ़ता बोझ है। बाइडेन सरकार के कार्यकाल में अमेरिका पर कर्ज का बोझ बहुत बढ़ा है। अगर सरकार अपनी वित्तीय स्थिति ठीक करने पर फोकस नहीं करती है तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था आगे गहरे संकट में फंस सकती है।
2. विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशक पिछले चार-पांच महीनों से इंडियन मार्केट में लगातार खरीदारी कर रहे थे। लेकिन, अब उनके रुख में बदलाव दिख रहा है। 1 अगस्त को उन्होंने 774 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर विदेशी संस्थागत निवेशक इंडियन मार्केट में बिकवाली जारी रखते हैं तो इसका बाजार के सेंटिमेंट पर खराब असर पड़ सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार की मार्केट रैली में छोटे-बड़े सभी तरह के शेयरों ने पार्टिसिपेट किया है। इससे शेयरों की वैल्यूएशंस काफी बढ़ गई है। ऐसे में विदेशी निवेशकों को यह मार्केट महंगा लग सकता है।
3. क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल
क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल शामिल हैं। क्रूड में उछाल इंडिया के लिए अच्छी खबर नहीं है। क्रूड ऑयल का भाव हाल में 85 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है। इस हफ्ते के आखिर में ओपेक प्लस यानी तेल उत्पादक देशों की बैठक होने वाली है। अगर ओपेक प्लस में शामिल देश उत्पादन बढ़ाने का फैसला नहीं करते हैं तो क्रूड की कीमतों में तेजी बनी रह सकती है। दरअसल, काफी समय बाद चीन में क्रूड की मांग में उछाल देखने को मिला है। इसका असर क्रूड की कीमतों पर पड़ा है।