ज्यादातर कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे आ गए हैं। नतीजे न तो ज्यादा निराशाजनक हैं और न ही बहुत उत्साहजनक हैं। ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल का कहना है कि ऐसा लगता है कि अर्निंग्स का सबसे खराब दौर बीत चुका है। इसका मतलब है कि मार्केट पर दबाव आने वाले दिनों में घटेगा। निफ्टी की मौजूदा वैल्यूएशन से भी इसकी पुष्टि होती है। पिछले साल सितंबर के अपने ऑल-टाइम हाई से निफ्टी 13 फीसदी टूट चुका है। इसमें एक साल के फॉरवर्ड अर्निंग्स के 19 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। इसका मतलब है कि निफ्टी की वैल्यूएशन 10 साल के औसत से 5 फीसदी नीचे आ चुकी है। इस लेवल को अट्रैक्टिव कहा जा सकता है।