शेयर बाजार के लिए मई का यह महीना बेहद खास रहने वाला है। करीब 20 कंपनियों के लाखों-करोड़ों शेयर इस महीने से शेयर मार्केट में बिक्री के लिए उतरने वाले हैं। इन सभी शेयरों की कुल वैल्यू 14.7 अरब डॉलर यानी करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये है। खास बात ये है कि ये सभी वे शेयर हैं, जिनका अभी हाल के महीनों में ही आईपीओ आया था। ब्रोकरेज फर्म नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बारे में विस्तार से बताया है।
नुवामा ने बताया कि कुल 20 कंपनियों के करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये के शेयर इस महीने से बिक्री के लिए आने वाले हैं। यह वो शेयर हैं जिन पर प्री-आईपीओ लॉक इन था। यानी इन शेयरों को लिस्टिंग के बाद एक खास समय तक बेचने की इजाजत नहीं थी। लेकिन अब मई महीने से इन शेयरों का लॉक-इन हट जाएगा और ये शेयर बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएंगे।
ब्रोकरेज ने बताया कि अगर हम 28 जुलाई तक की तारीख को ले लें, तो इस दौरान 1 मई से 28 जुलाई के बीच कुल 58 कंपनियों का शेयर लॉक-इन खत्म होने वाला और इनके करीब 26 अरब डॉलर के शेयर ट्रेडिंग के लिए खुल सकते हैं। हालांकि ये जरूरी नहीं है कि जिन शेयरों का लॉक-इन खत्म हो रहा हैं, वे सभी बाजार में तुरंत बिक जाएंगे। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि इनमें से काफी बड़ी संख्या में शेयर कंपनी के प्रमोटर और प्रमोटर ग्रुप के पास होते हैं, जो लंबे समय तक होल्ड करने वाले निवेशक माने जाते हैं।
स्विगी पर होगा सबसे अधिक फोकस
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा ध्यान स्विगी (Swiggy) के शेयरों पर रहने वाला है। ब्रोकरेज फर्म नुवामा ने बताया कि 13 मई को Swiggy का छह महीने का लॉक-इन पीरियड खत्म हो रहा है और इस दिन कंपनी के करीब 85 फीसदी शेयर कारोबार के लिए उपलब्ध हो जाएंगे। इन शेयरों की कुल वैल्यू 7 अरब डॉलर या करीब 58,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।
ब्रोकरेज हाउस JM Financial का मानना है कि स्विगी के शेयरों में निकट भविष्य में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है क्योंकि बाजार में ऐसी अटकलें है कि कंपनी के कुछ प्री-IPO निवेशक लॉक-इन खत्म होने के बाद अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं।
JM फाइनेंशियल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि फिलहाल स्विगी के करीब 83 प्रतिशत शेयर लॉक-इन में हैं, जिनकी वैल्यू 66,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। ब्रोकरेज ने कहा कि अगर इनमें से सिर्फ 15 प्रतिशत शेयर भी बिक्री के लिए आते हैं तो, इसके शेयरों में करीब 12,000 करोड़ की बिकवाली देखने को मिल सकती है, जो स्विगी के कुल आईपीओ साइज 11,300 करोड़ रुपये से भी अधिक है।
इन कंपनियों की भी खत्म हो रही लॉक-इन
स्विगी के अलावा, डॉ अग्रवाल हेल्थकेयर, अजाक्स इंजीनियरिंग, हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज और क्वालिटी पावर इलेक्ट्रिकल्स जैसी कंपनियों के तीन महीने का लॉक-इन पीरियड भी मई में खत्म हो रहा है।
वहीं 19 कंपनियों के शेयरों पर 6 महीने का लॉक-इन पीरियड मई में खत्म हो रहा है। इसमें दीपक बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, ब्लू जेट हेल्थ, एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर, मामाअर्थ, रेनबो चाइल्ड, सेलो वर्ल्ड, ACME सोलर होल्डिंग्स, सैगिलिटी इंडिया, ESAF स्मॉल फाइनेंस बैंक, निवा बूपा हेल्थ, आधार हाउसिंग फाइनेंस, ASK ऑटोमोटिव, प्रूडेंट कॉर्प, जिंका लॉजिस्टिक्स, वीनस पाइप्स, पारादीप फॉस्फेट्स, टाटा टेक्नोलॉजीज, गंधार ऑयल रिफाइनरी और फेडबैंक फाइनेंशियल सर्विसेज शामिल हैं।
आइए अब जानते हैं कि आखिर ये IPO-लॉक नियम हैं क्या। SEBI के नियमों के मुताबिक, जब कंपनी कोई शेयर बाजार में लिस्ट होने के लिए अपना आईपीओ लाती है, तो जिन निवेशकों ने आईपीओ से पहले ही कंपनी में पैसा लगाया हुआ होता है, उन्हें 6 महीने का लॉक-इन होता है। यानी वे शेयर लिस्ट होने के बाद 6 महीने तक अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच सकते हैं। वहीं एंकर निवेशकों को अपने आधे शेयरों के लिए 90 दिन और बाकी के लिए 30 दिन का लॉक-इन पीरियड का सामना करना पड़ता है।
कंपनी के प्रमोटरों के लिए यह लॉक-इन पीरियड 18 महीने का होता है, बशर्तें की कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 20% या उससे कम हो। अगर प्रमोटरों के पास हिस्सेदारी इससे ज्यादा होती है, तो लॉक-इन अवधि घटकर 6 महीने रह जाता है।
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