Suzlon Energy Shares: सुजलॉन एनर्जी करीब 15 सालों के बाद कर्ज मुक्त होने जा रही है। यह कंपनी के शेयरधारकों के लिए एक अच्छी खबर है, खासतौर से उन शेयरधारकों के लिए जो लंबे समय से इस स्टॉक में फंसे हुए है। साल 2007-08 में सुजलॉन एनर्जी के एक शेयर करीब 400 रुपये के भाव पर मिल रहे थे, जो अब गिरकर करीब 19 रुपये के भाव पर आ गया है। पिछले 15 सालों में इसने अपने निवेशकों को करीब 85 फीसदी डूबा दिया है। सुजलॉन एनर्जी के शेयरों में इतनी बड़ी गिरावट कैसे आई और आगे इस कंपनी का क्या प्लान है, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
साल 2000 के बाद से ही स्वच्छ पर्यावरण को लेकर दुनिया भर में चर्चाएं तेज हो गई थी। इसी बीच साल 2005 में सुजलॉन एनर्जी अपना आईपीओ लेकर आई, जो विंड टर्बाइन यानी पवन चक्की बनाने वाले देश की सबसे बड़ी कंपनी है। इसके आईपीओ को लोगों ने ग्रीन एनर्जी में निवेश करने का मौका देखा। सफल IPO के बाद अगले कुछ साल तक इसके शेयर तेजी से बढ़ते रहे और साल 2008 में यह 400 रुपये के ऊपर पहुंच गए।
लेकिन उसी साल एक ग्लोबल आर्थिक संकट आया, जिसके चलते पूरी दुनिया के शेयर बाजार क्रैश हो गए। सुजलॉन एनर्जी उस वक्त आक्रामक रुप से नए बाजारों में एंट्री करने की कोशिश कर रही थी। इस ग्लोबल आर्थिक संकट के असर ने कंपनी की वित्तीय स्थिति कमजोर कर दिया और इसके शेयरों में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया।
सुजलॉन एनर्जी को सहारा तब मिला, जब साल 2015 में सन फार्मा के मालिक दिलीप सांघवी ने कंपनी की 23 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर उसमें 1,800 करोड़ रुपये का निवेश किया। हालांकि कंपनी अभी दोबारा ठीक से रिकवर होती, उससे पहले ही कोरोना महामारी आ गई और इसके शेयर 1.70 रुपये के अपने ऑल टाइम लो पर पहुंच गए।
हालांकि कंपनी ने यहां से फिर से वापसी की है। साल 2023 में इसने करीब 6 सालों के इंतजार के बाद मुनाफा दर्ज किया था। हाल ही इसने अपने कर्ज को घटाने के लिए क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) के जरिए 2,000 करोड़ रुपये जुटाया है। कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर हिमांशु मोदी ने बताया कि इसमें से 1,500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कंपनी अपने कर्ज को चुकाने के लिए करेगी।
1,500 करोड़ रुपए के इस कर्ज को चुकाने के साथ ही करीब 15 साल बाद ये कंपनी पूरी तरह से कर्जमुक्त हो जाएगी।
जून तिमाही तक के आंकड़ों के मुताबिक, कंपनी पर कुल 1,800 करोड़ रुपए का कर्ज है। सुशील मोदी ने कहा कि कंपनी बाकी बचे 500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अपनी वर्किंग कैपिटल जरूरतों को पूरा करने में करेगी। साथ ही 3 मेगावॉट वाले टर्बाइन क्षमता को बढ़ाने पर भी निवेश किया जाएगा। कंपनी को 2025 तक कंपनी को 3-MW टर्बाइन के लिए बड़े ऑर्डर्स मिलने की उम्मीद है।