Suzlon को भी हिला दिया अमेरिकी झटके ने, दुनिया की सबसे बड़ी विंड एनर्जी के शेयर तो पहले ही टूटे 17%

Suzlon Shares: अमेरिकी सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया कि दुनिया भर में कोहराम मच गया। पहले तो अमेरिकी सरकार के फैसले के चलते डेनमार्क में दुनिया की सबसे बड़ी विंड फार्म कंपनी के शेयर धड़ाम हो गए और अब भारत में भी विंड टर्बाइन बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी सुजलॉन टूट गया। जानिए अमेरिकी सरकार के किस फैसले ने तबाही मचाई है?

अपडेटेड Aug 28, 2025 पर 4:22 PM
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सीधे तौर पर Orsted का Suzlon Energy से कोई कनेक्शन नहीं है। हालांकि इसके बावजूद दुनिया भर के मार्केट आपस में जुड़े हैं तो वैश्विक मार्केट में अगर विंड एनर्जी सेक्टर को लेकर सेंटिमेंट निगेटिव होता है तो सुजलॉन जैसे घरेलू शेयरों पर भी दबाव दिख सकता है।

Suzlon Shares: हफ्ते के पहले कारोबारी दिन आज डेनमार्क की सबसे बड़ी विंड फार्म कंपनी आर्स्टेड (Orsted) के शेयर 17% टूटकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गए। सिर्फ डेनमार्क ही क्यों, भारत में भी विंड टर्बाइन बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी सुजलॉन एनर्जी के शेयर फिसल गए। इन दोनों की गिरावट में एक चीज कॉमन है, वह है अमेरिका। अमेरिकी सरकार ने एकाएक रिवॉल्यूशन विंड प्रोजेक्ट (Revolution Wind Project) को रोक दिया तो इनके शेयरों को शॉक लगा। सुजलॉन की बात करें तो आज बीएसई पर यह 1.07% की गिरावट के साथ ₹56.33 पर बंद हुआ है। इंट्रा-डे में यह 1.81% टूटकर ₹55.91 तक आ गया था। लगातार तीन कारोबारी दिनों में यह करीब 4.5% टूटकर आज इंट्रा-डे के निचले स्तर तक आया था। इससे पहले 22 अगस्त को यह 0.58% की बढ़त के साथ ₹58.51 पर बंद हुआ था।

Revolution Wind Project के बंद होने से Orsted को झटका क्यों?

अमेरिका की ब्यूरो ऑफ ओशन एनर्जी मैनेजमेंट ने शुक्रवार देर रात आदेश दिया कि Rhode Island के पास चल रहे रिवॉल्यूशन विंड प्रोजेक्ट का काम रोक दिया जाए। यह प्रोजेक्ट 80% पूरा हो चुका है, और 65 में से 45 टरबाइन पहले ही लग चुके हैं और अमेरिकी मीडिया के मुताबिक 704 मेगावाट क्षमता वाले टर्बाइनों से करीब 3.50 लाख घरों को बिजली देने के लिए तैयार है। पूरी तरह से निजी फंडिंग से चल रहे इस प्रोजेक्ट पर रोक से आर्स्टेड को झटका लगा है और कंपनी ने आदेश का पालन करने की बात कही है लेकिन आगे बढ़ने के लिए विकल्प भी तलाश रही है।


कंपनी इस वक्त पूंजी जुटाने की कोशिश में है। हाल ही में इसने करीब 6 हजार करोड़ डेनिश क्रोनर (करीब $940 करोड़) के राइट्स इश्यू का ऐलान किया था लेकिन अमेरिकी सरकार के फैसले के बाद इसे लेकर कंपनी दबाव में आ सकती है। हालांकि कंपनी का कहना है वह राइट्स इश्यू पर आगे बढ़ेगी और इसे डेनिश सरकार का सपोर्ट है। डेनिश सरकार की कंपनी में बड़ी हिस्सेदारी है।

Sydbank के हेड ऑफ इक्विटी रिसर्च जैकब पीडरसन का कहना है कि सरकार के फैसले से अगर बहुत पॉजिटिव सोचें तो प्रोजेक्ट रुकेगा और खर्च बढ़ेगा लेकिन अगर स्थिति पक्ष में नहीं रहती है तो कंपनी को करारा झटका लगेगा। जैसे कि यह प्रोजेक्ट कभी पूरा नहीं हुआ तो कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट से बाहर निकलने की भारी लागत झेलनी पड़ेगी यानी कि इसे 6 हजार करोड़ डेनिश क्रोनर से अधिक फंड जुटाना पड़ सकता है।

Suzlon से क्या है कनेक्शन?

सीधे तौर पर आर्स्टेड का सुजलॉन एनर्जी से कोई कनेक्शन नहीं है। आर्स्टेड का संकट वैश्विक पॉलिसी और प्रोजेक्ट में देरी से जुड़ा हुआ है जबकि सुजलॉन का कारोबार भारतीय नीतियों और मांग पर निर्भर है। हालांकि इसके बावजूद दुनिया भर के मार्केट आपस में जुड़े हैं तो वैश्विक मार्केट में अगर विंड एनर्जी सेक्टर को लेकर सेंटिमेंट निगेटिव होता है तो सुजलॉन जैसे घरेलू शेयरों पर भी दबाव दिख सकता है। हालांकि सुजलॉन के लिए पॉजिटिव ये है कि भारत सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए लगातार बड़े कदम उठा रही है जैसे कि रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी को 500 गीगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य, पीएलआई स्कीम और राज्यों में विंड पावर टेंड। इसका ऑर्डर बुक मजबूत है और घरेलू मांग भी शानदार है।

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डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।

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