Tariffs Break Impact: अपने अफलातूनी फैसलों के लिए जाने जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया के बाजारों में तूफान ला दिया है। ट्रंप ने जवाबी टैरिफ नहीं लगाने वाले देशों के लिए RECIPROCAL TARRIF पर 90 दिन की रोक का ऐलान कर दिया है। हालांकि चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिया गया है। ट्रंप के ऐलान करते ही पलक झपकते ही अमेरिकी बाजारों में तूफानी तेजी आ गई।
अमेरिकी बाजारों में 2008 के बाद की सबसे बड़ी तेजी आई। डाओ जोंस में 8%, S&P में साढ़े नौ परसेंट तो नैस्डैक में 12% से ज्यादा का उछाल रहा। ट्रंप के टैरिफ पर PAUSE से पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली है, क्योंकि टैरिफ पर बातचीत के लिए उन्हें वक्त मिल गया है।सवाल ये है कि ट्रंप के फैसलों का अब भारतीय बाजारों पर क्या असर होगा? ऐसे में ट्रंप के टैरिफ वॉर पर दिग्गज ब्रोकरेजेज की क्या राय है इसपर आइए डालते है एक नजर।
ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि ट्रंप ने टैरिफ पर 90 दिनों के ब्रेक का ऐलान किया है। अब अमेरिकी मंदी (Recession) की संभावना 45% मानी जा रही है। हालांकि खास सेक्टर (जैसे स्टील, एल्यूमिनियम, ऑटो) पर अतिरिक्त 25% लग सकता है। गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक फेडरल रिजर्व (Fed) से उम्मीद है कि ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। जून, जुलाई और सितंबर में कटौती हो सकती है।
सिटी का मानना है कि ग्रोथ में सुस्ती और मंहगाई में उछाल को US टाल नहीं सकता है। ट्रेड को लेकर अनिश्चितता बरकरार रहेगी। चीन के अलावा दूसरे देशों से इंपोर्ट बढ़ेगा। हालांकि सिटी का भी मानना है कि FED मई या जून में ब्याज दरें घटा सकता है। सिटी ने कहा कि ऑटो, एल्युमिनियम और स्टील सेक्टर पर टैरिफ कायम है। फार्मा और सेमीकंडक्टर पर नया टैरिफ लग सकता है।
वैश्विक स्वतंत्र निवेश बैंकिंग सलाहकार फर्म एवरकोर इंक (EVERCORE) का कहना है कि चीन के साथ टैरिफ वॉर से मैक्रो दिक्कतें बढ़ेंगी। चीन से 13% US इंपोर्ट को रिप्लेस नही किया जा सकता है। Quantitative Easing पर फेड का फोकस बढ़ेगा।
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