Trump Tariffs: भारत पर 50% टैरिफ लागू, इन सेक्टर्स और शेयरों पर दिखेगा सबसे ज्यादा असर

50% Tariffs On India: मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रंप के 50% टैरिफ से सबसे ज्यादा झटका टेक्सटाइल, सी-फूड और जेम्स-एंड-ज्वेलरी सेक्टर को लगने वाला है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन सेक्टर्स की अमेरिकी बाजार पर सबसे ज्यादा निर्भरता है। साल 2024 के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत के कुल टेक्सटाइल एक्सपोर्ट का करीब 15% हिस्सा केवल अमेरिका को जाता है, जिसकी वैल्यू 118 अरब डॉलर से ज्यादा है

अपडेटेड Aug 28, 2025 पर 3:45 PM
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50% Tariffs On India: भारत से अमेरिका जाने वाले उत्पादों पर अब कुल टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है

50% Tariffs On India: अमेरिका के ट्रंप सरकार की ओर से भारत पर लगाया गया 25% अतिरिक्त टैरिफ बुधवार 27 अगस्त से लागू हो गया है। इसके साथ ही भारत से अमेरिका जाने वाले उत्पादों पर अब कुल टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है। इस फैसले को भारत और खासतौर भारत की एक्सपोर्ट आधारित कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

व्हाइट हाउस के कई अधिकारियों ने इस टैरिफ के असर और भविष्य को लेकर अपनी राय दी है। अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते इस समय जटिल दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में दोनों देश किसी साझा समाधान पर पहुंचेंगे। वहीं, व्हाइट हाउस के इकोनॉमिक एडवाइजर केविन हैसेट ने साफ किया कि अगर भारत अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटता, तो अमेरिकी राष्ट्रपति भी झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत लगातार अमेरिकी उत्पादों के लिए अपना बाजार खोलने को लेकर "अड़ियल रवैया" दिखा रहा है।

आइए यह समझने की कोशिश करते हैं कि अमेरिका के इस 50% टैरिफ झटके से भारत के किन सेक्टर्स और शेयरों पर सबसे अधिक असर देखने को मिल सकता है


मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रंप के 50% टैरिफ से सबसे ज्यादा झटका टेक्सटाइल, सी-फूड और जेम्स-एंड-ज्वेलरी सेक्टर को लगने वाला है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन सेक्टर्स की अमेरिकी बाजार पर सबसे ज्यादा निर्भरता है। साल 2024 के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत के कुल टेक्सटाइल एक्सपोर्ट का करीब 15% हिस्सा केवल अमेरिका को जाता है, जिसकी वैल्यू 118 अरब डॉलर से ज्यादा है।

अगर टेक्सटाइल सेक्टर की कंपनियों की बात करें तो गोकालदास एक्सपोर्ट्स, इंडो काउंट इंडस्ट्रीज, पर्ल ग्लोबल, केपीआर मिल, अरविंद लिमिटेड और वेलस्पन लिविंग जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं। इन कंपनियों की कुल कमाई का करीब 25% से 70% तक हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है।

पर्ल ग्लोबल के पल्लब बनर्जी ने CNBC-TV18 के साथ एक बातचीत में बताया कि अमेरिकी कंपनियां अब 15% से 20% तक की छूट मांग रही हैं ताकि टैरिफ के असर को कम किया जा सके। कुछ अमेरिकी कंपनियां तो अपने उत्पादन को दूसरे देशों में शिफ्ट करने पर भी जोर दे रही हैं। बनर्जी ने चेतावनी दी कि उनके गारमेंट बिजनेस का आधा हिस्सा अमेरिका पर निर्भर है और इतने भारी-भरकम टैरिफ से करीब 6 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट शिफ्ट हो सकता है, जिससे लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।

सीफूड इंडस्ट्री को बड़ा झटका

टेक्सटाइल के अलावा सी-फूड और उसमें भी खासतौर से झींगा एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को भी इस 50% के ट्रंप टैरिफ से भारी झटका लग सकता है। वंति फीड्स, एपेक्स फ्रोजन फूड्स और वॉटरबेस जैसी कंपनियों की 50% से 60% तक की कमाई अमेरिकी बाजार से होती है। आज गुरुवार को इन कंपनियों के शेयरों में 6% तक की गिरावट देखने को मिली।

केमिकल सेक्टर पर भी असर

इसके अलावा केमिकल सेक्टर भी इस टैरिफ के असर से अछूता नहीं रहेगा। SRF, नवीन फ्लोरीन और गैलेक्सी सर्फैक्टेंट्स जैसी कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है। उदाहरण के तौर पर, FY24 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, SRF की कुल आय का 12% हिस्सा अमेरिका से आता है, जबकि नवीन फ्लोरीन की करीब 65% आय पूरी तरह एक्सपोर्ट पर निर्भर है।

जेम्स एंड ज्वैलरी सेगमेंट को झटका

भारत हर साल लगभग 9–10 अरब डॉलर मूल्य के जेम्स और ज्वैलरी अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है। यह इस सेक्टर के ग्लोबल व्यापार का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है। अमेरिका पर लगे 50% टैरिफ ने इस इंडस्ट्रीज के लिए संकट खड़ा कर दिया है। सूरत का हीरा कटिंग और पॉलिशिंग हब, जो लाखों लोगों को रोजगार देता है, पहले से ही झटके झेल रहा है। अमेरिकी शिपमेंट्स रुकने से कई जगहों पर छंटनी शुरू हो गई है। एक्सपोर्टरों का कहना है कि इस बिजनेस में पहले से ही प्रॉफिट मार्जिन बेहद कम है। ऐसे में 50 प्रतिशत टैरिफ से इंडस्ट्री में व्यापक स्तर पर नौकरी छिनने का खतरा मंडरा रहा है।

आगे की राह कठिन

एक्सपर्ट्स का मानना है कि 50% टैरिफ से भारत की एक्सपोर्ट इंडस्ट्री को गहरा झटका लग सकता है। खासतौर पर टेक्सटाइल और सी-फूड जैसे लेबर-प्रधान उद्योगों में नौकरियों पर संकट मंडरा सकता है। वहीं, वियतनाम, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों को कॉम्पिटिटीव बढ़त मिल सकती है, क्योंकि उनके ऊपर टैरिफ दर तुलनात्मक रूप से कम है।

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