इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन करीब 10 फीसदी ज्यादा हो सकती है। 3पी इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर और चीफ इनवेस्टमेंट अफसर प्रशांत जैन ने मनीकंट्रोल को यह बताया। उन्होंने कहा कि मार्केट का रिटर्न 12-13 फीसदी अर्निंग्स ग्रोथ (सीएजीआर) के बराबार होना चाहिए। दरअसल, इंडिया ऐसा देश है जहां इनफ्लेशन ज्यादा नहीं है। इसलिए किसी सेक्टर में मार्जिन में इम्प्रूवमेंट की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। जैन को इनवेस्टमेंट और कैपिटल मार्केट का व्यापक अनुभव है। वह इंडिया के सबसे बड़े फंड मैनेजर्स में से एक हैं।
इंडियन मार्केट हाई वैल्यूएशन का हकदार
जैन (Prashant Jain) ने कहा कि इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन 10-15 साल के औसत से करीब 15-25 फीसदी ज्यादा है। लेकिन, इंडिया इस हाई वैल्यूएशन का हकदार है, क्योंकि यहां ग्रोथ की काफी ज्यादा संभावनाएं हैं। साथ ही कैपिटल की कॉस्ट कम है। ज्यादा वैल्यूएशन की एक बड़ी वजह यह है कि ज्यादा घरेलू निवेश की वजह से मार्केट के उतारचढ़ाव में कमी आई है। इससे हायर वैल्यूएशन मल्टीपल्स को भी सपोर्ट मिला है।
मिडकैप और स्मॉलकैप की ग्रोथ कम रह सकती है
उन्होंने कहा कि शॉर्ट टर्म में लार्जकैप की CAGR करीब 12 फीसदी रह सकती है। लेकिन, स्मॉलकैप और मिडकैप में यह काफी कम रहेगी, क्योंकि अगर एक ही सेक्टर की बड़ी कंपनियों से तुलना की जाए तो ये अपेक्षाकृत कमजोर कंपनियां हैं। गिरावट से पहले की तेजी में लार्जकैप के मुकाबले स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स में ज्यादा उछाल देखने को मिला था। हालांकि, अब उनमें ज्यादा गिरावट दिखी है।
निफ्टी में ज्यादा गिरावट के आसार नहीं
स्टॉक मार्केट्स में क्या गिरावट आगे जारी रहेगी? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि Nifty में ज्यादा गिरावट के आसार नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि इकोनॉमिक ग्रोथ के मुताबिक इसका प्रदर्शन नहीं रहा है। निफ्टी के कई प्रमुख सेक्टर अब भी अट्रैक्टिव दिख रहे हैं। बैंक इनमें से एक है। हालांकि, इसमें ग्रोथ की उम्मीदों के हिसाब से एडजस्टमेंट हो चुका है। बड़े बैंक, सॉफ्टवेयर, कंज्यूमर्स गुड्स, फार्मा और ऑटो कंपनियों में इक्विटी डॉयल्यूशन काफी कम देखने को मिला है।
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म्यूचुअल फंड के रास्ते आ रहा निवेश देगा सहारा
उन्होंने कहा कि निफ्टी शेयरों की सप्लाई सीमित है। साथ ही म्यूचुअल फंडों के रास्ते काफी ज्यादा निवेश आ रहा है। इससे निफ्टी की वैल्यूएशन को सपोर्ट मिलेगा। इससे इसका रिटर्न भी ब्रॉडर मार्केट के जैसा रहेगा। सितंबर के अंत से स्टॉक मार्केट्स में काफी गिरावट देखने को मिली है। इससे प्रमुख सूचकांक अपने ऑल-टाइम हाई से काफी नीचे आ गए हैं।