दिग्गज स्टॉक इनवेस्टर गोविंद पारिख (Govind Parikh) ने कहा कि फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म खासकर बैंकों को लेकर वह सावधान हैं। उन्होंने बताया कि वह फाइनेंशियल स्टॉक्स में पॉजिशन घटाने के बारे में सोच रहे हैं। हम मार्केट पर Jio Financial का असर देखना चाहते हैं, क्योंकि Reliance Industries समूह की कंपनियों का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वे जिस सेक्टर में जाती है, उसमें उथल-पुथल मचा देती हैं। टेलीकॉम इसका एक उदाहरण हैं। जियो फाइनेंशियल को लेकर पारिख का नजरियां दूसरे एनालिस्ट्स से अलग है। कई एनालिस्ट्स का मानना है कि NBFC सेक्टर में जियो फाइनेंशियल उथल-पुथल मचाने की कोशिश नहीं करेगी, क्योंकि लेंडिंग बिजनेस के डायनेमिक्स टेलीकॉम और रिटेल बिजनेस से काफी अलग हैं। RIL ने हाल में अपने फाइनेंशियल सर्विसेज बिजनेस को डीमर्ज किया है। इसे जियो फाइनेंशइयल नाम दिया गया है। RIL ने इसे स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट कराया है।
बैंकिंग और एनबीएफसी सेक्टर पर जियो फाइनेंशियल का पड़ेगा असर
पारिख ने कहा, "अभी जियो वन टाइम बुक पर उपलब्ध है। यह दूसरे प्लेयर्स के मुकाबले काफी ज्यादा डिस्काउंट है। अगर वे सामान्य तरीके से चीजें करने का फैसला करते हैं तो यह गैप भर सकता है। लेकिन, अगर जियो फाइनेंशियल वही स्ट्रेटेजी अपनाती है, जैसा RIL ग्रुप ने टेलीकॉम सेक्टर में अपनाया था तो यह दूसरे प्लेयर्स के लिए खराब खबर होगी। जब मार्केट्स में बूम होता है तो फाइनेंशियल कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा होता है। लेकिन, अभी फाइनेंशियल कंपनियों की वैल्यूएशंस सस्ती नहीं दिख रही है।"
लंबे समय तक हाई NIM की उम्मीद नहीं
उन्होंने कहा कि आपके पास HDFC Bank और Kotak जैसे बैंक हैं, जिनके नेट इंटरेस्ट मार्जिन 3-4 फीसदी के बीच है। अब विदेश से सस्ते रेट पर पूंजी जुटाना आसान हो गया है। अगर आप यह कहते हैं कि कुछ भारतीय बैंक विश्व-स्तरीय बन गए हैं तो उनके मार्जिन की तुलना भी दुनिया के बड़े बैंकों से करनी होगी। दुनिया में माार्जिन 1-1.5 के बीच रहा है। इसलिए मेरा मानना है कि इंडिया में भी NIMs में कमी आएगी। दूसरी बड़ी बात यह है कि Bajaj Finance और Chola जैसी स्मार्ट एनबीएफसी और फिनटेक कंपनियां छोटे अमाउंट के लोन सेगमेंट का बड़ा हिस्सा ले जाएंगी। अभी इसमें फाइनेंशियल्स की हिस्सेदारी 40-45 फीसदी है। मेरा मानना है कि इसमें काफी कमी आएगी।
पारिख ने कहा कि बैंक और फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए अच्छी बात यह है कि अभी एसेट क्वालिटी पहले के मुकाबले काफी अच्छी है। लेकिन, मार्केट अभी पॉलिटिकल रिस्क पर ध्यान नहीं दे रहा है। पॉलिटिकल इनवायरमेंट में बदलाव का काफी ज्यादा असर बैंकों पर पड़ता है। बैड लोन क्रिएट करने के लिए एक फोन कॉल काफी है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी बढ़ सकती है वैल्यूएशन
उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि कई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां इंडिया शिफ्ट हो रही हैं। दूसरे सेक्टर्स की तरह इस सेक्टर्स में भी निवेशकों को हाई वैल्यूएशंस देखने को मिल सकती है। इंडिया में इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ी ग्रोथ की उम्मीद दिख रही है। इसका काफी असर स्टॉक्स पर पहले ही पड़ चुका है। मैं जल्दबाजी में आज उन्हें खरीदने नहीं जा रहा हूं। उदाहरण के लिए Timken US ने अपने प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग अमेरिका में बंद कर दी है। वह उन्हें इंडिया में बना रही है। अगर वे डिलीवरी और क्वालिटी से संतुष्ट हैं तो इंडिया में ज्यादा प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो सकती है।