Vivaa Tradecom IPO Listing: कपड़े बनाने वाली वीवा ट्रेडकॉम (Vivaa Tradecom) के शेयरों की आज BSE के SME प्लेटफॉर्म पर फीकी एंट्री हुई। मुनाफा तो नहीं मिला, उल्टे घाटा ही हो गया। सब्सक्रिप्शन की बात करें तो खुदरा निवेशकों के दम पर ही यह इश्यू पूरा भर पाया और बाकी निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सा पांच दिन में भी पूरा भर नहीं पाया। आईपीओ के तहत 51 रुपये के भाव पर शेयर जारी हुए हैं। आज BSE SME पर इसकी 40.80 रुपये के भाव पर एंट्री हुई है यानी कि लिस्टिंग के बाद आईपीओ निवेशकों की पूंजी 20 फीसदी घट गई।
हालांकि लिस्टिंग के बाद शेयरों में जबरदस्त उठा-पटक रही। टूटकर यह 38.76 रुपये (Vivaa Tradecom Share Price) के लोअर सर्किट पर आ गया और एक बार तो 42.82 रुपये के अपर सर्किट पर पहुंच गया था। दिन के आखिरी में यह 42 रुपये पर बंद हुआ है यानी कि पहले दिन आईपीओ निवेशक करीब 18 फीसदी घाटे में हैं।
Vivaa Tradecom IPO में खुदरा निवेशकों का ही हिस्सा ओवरसब्सक्राइब
वीवा ट्रेडकॉम का 7.99 करोड़ रुपये का आईपीओ 27 सितंबर-4 अक्टूबर तक खुला रहेगा। इस आईपीओ को निवेशकों के रिस्पांस की बात करें तो यह आखिरी यानी पांचवे दिन ही जाकर पूरा भर पाया था। चार दिन में यह 0.91 गुना भरा था और खुदरा निवेशकों का हिस्सा ही चौथे दिन 1.61 गुना भरा था यानी ओवरसब्सक्राइब हुआ था। आखिरी दिन ओवरऑल यह 1.81 गुना सब्सक्राइब हुआ। इसमें खुदरा निवेशकों का हिस्सा 2.86 गुना भरा था। उनके लिए आधा हिस्सा आरक्षित था। वहीं बाकी निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सा महज 0.70 गुना भर पाया।
आईपीओ के तहत 10 रुपये की फेस वैल्यू वाले 15.66 लाख नए शेयर जारी हुए हैं। इन शेयरों के जरिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने, आम कॉरपोरेट उद्देश्यों और आईपीओ के खर्चों को भरने में होगा।
वीवा ट्रेडकॉम वर्ष 2010 में बनी थी और यह कपड़े तैयार करती है। इसके प्रोडक्ट लिस्ट में डेनिम फैब्रिक के साथ-साथ पुरुषों और महिलाओं के लिए डेनिम/कॉटन जींस जैसे रेडीमेड कपड़े तैयार करती है। अब कंपनी फर्नीचर इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले एमडीएफ बोर्ड्स के कारोबार में एंट्री कर सकती है और इसके लिए कंपनी ने इससे जुड़ी कंपनी रुशिल डेकर के साथ एग्रीमेंट भी कर लिया है। इसके क्लाइंट्स आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल, लज्जा पॉलीफैब, नंदन डेनिम, बजाज इंपेक्स और रिलायंस रिटेल के साथ कारोबारी संबंध हैं।
कंपनी के वित्तीय सेहत की बात करें तो वित्त वर्ष 2021 में इसे 6.48 लाख रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था और फिर अगले ही वित्त वर्ष 2022 में इसे 44.39 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ लेकिन अगले ही वित्त वर्ष 2023 में यह घटकर 25.48 लाख रुपये पर आ गया। पिछले वित्त वर्ष 2023 में रेवेन्यू भी सालाना आधार पर 247.28 करोड़ रुपये से गिरकर 134.02 करोड़ रुपये पर आ गया।