वित्तीय दबावों से जूझ रही टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) 7 हजार करोड़ रुपये जुटाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए उसने बैंकों से संपर्क साधा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस कर्ज के अधिकतर हिस्से का इस्तेमाल इंडस टॉवर्स (Indus Towers) के कुछ बकाए का चुकता करना है। वहीं जानकारी के मुताबिक वोडाफोन आइडिया बैंकों के पास कर्ज हासिल करने के लिए पहुंची तो है लेकिन अभी तक इसे लेकर अंतिम रूप से कुछ तय नहीं हुआ है। इसका असर शेयरों पर भी दिख रहा है और कर्ज को लेकर कुछ तय नहीं होने के चलते शेयर एक फीसदी से अधिक कमजोर हुए हैं। फिलहाल बीएसई पर यह 7.77 रुपये के भाव (Vodafone Idea Share Price) पर ट्रेड हो रहा है।
Vodafone Idea को कर्ज मिलने में ये है दिक्कतें
वोडाफोन आइडिया बैंकों के पास कर्ज मांगने पहुंची है। एक बैंक के अधिकारी ने जानकारी दी कि टेलीकॉम कंपनी ने 15 हजार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी मांगी है। इसके अलावा नए कर्ज के लिए भी अनुरोध किया है। सितंबर 2022 तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक वोडाफोन आइडिया की नेटर्थ निगेटिव 75,830.8 करोड़ रुपये थी और एक बैंक के अधिकारी के मुताबिक बैंक निगेटिव नेटवर्थ वाली कंपनियों को कर्ज नहीं दे सकते हैं क्योंकि इसके वापसी की कोई गारंटी नहीं रहती है।
बैंक यह भी सुनिश्चित करना चाह रहे हैं कि सरकार इसकी हिस्सेदारी खरीदारी या नहीं और इस टेलीकॉम कंपनी का बिजनेस बढ़ाने का क्या प्लान है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वोडाफोन आइडिया, आदित्य बिरला ग्रुप, वोडाफोन, इंडस, एसबीआई, पीएनबी, एचडीएफसी बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट की तरफ से इस पर प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हुई है। हालांकि मनीकंट्रोल इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकता है।
भारी कर्ज से जूझ रही है कंपनी
वोडाफोन आइडिया पर इंडस का 7500 करोड़ रुपये बकाया है। इस टॉवर कंपनी का वोडाफोन आइडिया पर हर महीने 250-300 करोड़ रुपये का बकाया है। टेलीकॉम कंपनी अब इस महीने से पूरे बकाए को चुकता करना चाहती है और 31 दिसंबर 2022 तक के आउटस्टैंडिंग को जल्द से जल्द क्लियर करना चाहती है। इससे पहले इंडस ने वोडाफोन आइडिया को चेतावनी दी थी कि अगर बकाया चुकता नहीं होता है तो वह अपने टॉवर की सेवाएं बंद कर देगी। इस पर टेलीकॉम कंपनी ने डेफर्ड पेमेंट प्रपोजल रखा जिसे टॉवर कंपनी ने स्वीकार कर लिया।