इस कारण मिडकैप और स्मॉलकैप की बढ़ी आफत, रेवेन्यू बढ़ने के बावजूद मुनाफे को लगा झटका

इस वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में लॉर्ज कैप की तुलना में अच्छा परफॉरमेंस करने के बाद अब लगातार दूसरी तिमाही स्मॉल और मिडकैप पिछड़ते दिख रहे हैं। सबसे अधिक झटका कैपिटल गुड्स, इंडस्ट्रियल्स और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी को लगा जो कमजोर मांग और पूंजी की ऊंची जरूरतों से जूझ रही हैं। जानिए ऐसा क्यों हुआ?

अपडेटेड Feb 20, 2025 पर 1:38 PM
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घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि कंपनियों के कमजोर नतीजे के चलते मार्केट में बिकवाली की भारी आंधी आई। हालांकि मिड और स्मॉल-कैप का वैल्यूएशन उनके ऐतिहासिक औसत और निफ्टी 50 की तुलना में काफी ऊंचा बना हुआ है।

इस वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में लॉर्ज कैप की तुलना में अच्छा परफॉरमेंस करने के बाद अब लगातार दूसरी तिमाही स्मॉल और मिडकैप पिछड़ते दिख रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसकी वजह घरेलू सुस्ती है जिसका सबसे अधिक असर स्मॉल और मिडकैप पर पड़ता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक स्मॉल कैप और मिडकैप की कमाई में गिरावट की वजह कमजोर मांग और महंगाई है। इसके अलावा वैश्वित अनिश्चितताओं, बढ़ती लागत और ऊंची ब्याज दरों ने मुनाफे को झटका दिया। सबसे अधिक झटका कैपिटल गुड्स, इंडस्ट्रियल्स और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी को लगा जो कमजोर मांग और पूंजी की ऊंची जरूरतों से जूझ रही हैं।

ऐसी रही मिडकैप और स्मॉलकैप के लिए दिसंबर तिमाही

मनीकंट्रोल ने जो आंकड़े जुटाए हैं, उसके मुताबिक बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स की 683 कंपनियों का रेवेन्यू 7.1 फीसदी बढ़ा जो लगातार सातवीं तिमाही है, जब रेवेन्यू 10 फीसदी से कम रफ्तार से बढ़ा और तिमाही आधार पर लगातार 13वीं तिमाही। फिनिश्ड गुड पर्सेजेज की लागत और एंप्लॉयीज एक्सपेंसेज में तेज उछाल रही। लगातार दूसरी तिमाही इन दोनों की ग्रोथ दोहरे अंकों में रही। इसके चलते कंपनी के प्रॉफिटेबिलिटी पर भी असर पड़ा। दिसंबर तिमाही में सालाना आधार पर 1.5 फीसदी की ही रफ्तार से बढ़ा जोकि छह तिमाहियों में सबसे कम है। तिमाही आधार पर बात करें तो लगातार दूसरी तिमाही इसमें गिरावट आई। इस तुलना में सिर्फ उन्हीं कंपनियों को शामिल किया गया जिनके लिए 15 तिमाही के तुलनात्मक आंकड़े उपलब्ध थे।


अब बीएसई मिडकैप इंडेक्स की बात करें तो 85 कंपनियों के आंकड़े जुटाए गए। दिसंबर तिमाही में इनका रेवेन्यू 12.9 फीसदी बढ़ने के बावजूद नेट प्रॉफिट सिर्फ 2 फीसदी ही बढ़ा। रेवेन्यू आठ तिमाहियों में सबसे तेज स्पीड से बढ़ा लेकिन प्रॉफिट छह तिमाहियों में सबसे सुस्त स्पीड से। मुनाफे को यह झटका एक्सपेंसेज और ब्याज की लागत में उछाल के चलते लगा। कुल लागत 11 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा जो छह तिमाहियों में सबसे अधिक रही जबकि ब्याज पर लागत 27 फीसदी से भी अधिक बढ़ा जो तीन तिमाहियों में सबसे अधिक रही। मनीकंट्रोल ने जिन कंपनियों के आंकड़ों को एनालाइज किया है, उसमें एनर्जी, बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियों को बाहर रखा गया।

ब्रोकरेज फर्मों का क्या कहना है?

घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि कंपनियों के कमजोर नतीजे के चलते मार्केट में बिकवाली की भारी आंधी आई। हालांकि मिड और स्मॉल-कैप का वैल्यूएशन उनके ऐतिहासिक औसत और निफ्टी 50 की तुलना में काफी ऊंचा बना हुआ है। निफ्टी 50 अभी 12 महीने के फॉरवर्ड P/E 19.3x पर ट्रेड कर रहा है, जोकि इसके लॉन्ग टर्म एवरेज 20.5x से नीचे है। ऐसे में ब्रोकरेज ने लार्ज-कैप शेयरों को प्राथमिकता दी है।

एसकेआई कैपिटल सर्विसेज के सीएमडी नरिंदर वाधवा का भी रहना है कि रिस्क बना हुआ है जैसे कि एंप्लॉयीज पर खर्च 10 फीसदी से अधिक बना हुआ है और सुस्त मांग से भी कमाई को झटका लग सकता है। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर बात करें तो टैरिफ वार और फेड दर में कटौती नहीं होने की संभावना अनिश्चितता को और बढ़ा रही है।

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