Share Market Down: भारतीय शेयर बाजारों में आज 29 मई को भारी उठापटक देखने को मिली। शुरुआती कारोबार में बढ़त के बाद बाजार ने तेजी गंवा दी और दोपहर तक लाल निशान में फिसल गया। अमेरिकी में महंगाई दर के ऊंची बने रहने की चिंताओं के चलते निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर हुआ। BSE Sensex, जो सुबह के सत्र में 504 अंक चढ़कर 81,816.89 के स्तर पर पहुंचा था, दिन के उच्चतम स्तर से करीब 600 अंक टूट गया। वहीं, NSE Nifty जो शुरुआत में 24,889.70 तक गया था, दोपहर तक 24,750 के नीचे फिसल गया।
निफ्टी पर जियो फाइनेंशियल सर्विसेज, HDFC लाइफ, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बजाज फाइनेंस, और HDFC Bank जैसे दिग्गज शेयरों में 2% तक की गिरावट देखने को मिली। शेयर बाजार में आज की इस गिरावट के पीछे 4 प्रमुख कारण रहे-
1. F&O एक्सपायरी से पहले सतर्कता
2. फेडरल रिजर्व की सख्त टिप्पणी
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की 6-7 मई को हुई मीटिंग से जुड़ी जानकारी बुधवार देर रात जारी हुई। इसमें बताया गया कि फेडरल रिजर्व के सभी 19 सदस्यों ने माना कि अमेरिका में महंगाई दर लंबे समय तक ऊंची बनी रह सकती है। फेजरल रिजर्व ने इस बैठक में ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया, लेकिन उसके रुख ने महंगाई को लेकर बढ़ती चिंता का संकेत दिया। निवेशकों को डर है कि इससे ब्याज दरों में कटौती की प्रक्रिया में हो सकती है। यह बयान बाजार में डर का कारण बना।
सुरक्षा एनालिस्ट्स मे बताया कि जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक विकसित करने में सहायता देने का वादा किया है, जिससे भूराजनैतिक तनाव फिर से बढ़ गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल चेतावनी दी थी कि इस तरह के कदम पश्चिमी देशों को सीधे टकराव में घसीट सकते हैं।
रिटायर्ड ब्रिगेडियर वी. महालिंगम ने बताया, "तथ्य यह है कि मॉस्को पर टॉरस मिसाइल से हमले के लिए जर्मनी की मदद लेने ही पड़ेगी क्योंकि यूक्रेनियन टॉरस मिसाइल का रखरखाव नहीं कर सकते हैं या इसे मिशन के लिए प्रोग्राम नहीं कर सकते हैं। अगर यूक्रेन जर्मन सैनिकों की मदद से हमला करता है तो, रूस इसे सीधे जर्मनी की ओर से किया गया हमला मानेगा और जर्मनी को इसके परिणाम भुगतने होंगे।"
4. क्रूड ऑयल के दाम में उछाल
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम गुरुवार 1.11 फीसदी बढ़कर 65.62 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच गया, जिससे भारत जैसे तेल आयातक देशों की चिंता बढ़ गई है। इससे रुपये में कमजोर, महंगाई में बढ़ोतरी और करंट अकाउंट डेफिसिट पर असर पड़ता है, जो शेयर बाजार के लिए नकारात्मक संकेत हैं।
टेक्निकल एनालिस्ट्स का क्या है कहना?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा, "निफ्टी फिलहाल 24,500 से 25,000 के दायरे में कंसोलिडेट कर रहा है। निकट भविष्य में इस रेंज से ऊपर या नीचे ब्रेकआउट की संभावना कम है।"
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