केबल और वायर कंपनियों के शेयर आज 20 मार्च को भूचाल देखने को मिला। KEI इंडस्ट्रीज, Polycab, Havells, Finolex और RR Kabel जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयर 14% तक लुढ़क गए। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में केबल और वायर इंडस्ट्रीज में काफी कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। कई ब्रोकरेज तो इन कंपनियों को लेकर सतर्क रहने की भी सलाह दे रहे हैं। इसकी वजह क्या है? आइए जानते हैं।
बुधवार को अदाणी ग्रुप ने केबल और वायर बिजनेस में उतरने का ऐलान किया। अदाणी एंटरप्राइजेज की एक सहयोगी कच्च कॉपर ने प्रणीता वेंचर प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर एक नई ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई है। कंपनी का नाम प्रणीता इकोकेबल्स रखा गया है, जिसमें 50% हिस्सेदारी अडानी ग्रुप की कंपनी कच्छ कॉपर के पास होगी। यह खबर आते ही शेयर बाजार में आज हलचल मच गई। KEI इंडस्ट्रीज के शेयर कारोबार के दौरान 14% तक गिर गए, Polycab इंडिया 9% लुढ़क गया और Havells और Finolex भी 4% से ज्यादा गिर गए।
लेकिन इस गिरावट की वजह अकेले अदाणी ग्रुप नहीं है। अदाणी से करीब एक महीने पहले आदित्य बिड़ला ग्रुप ने भी अपनी कंपनी आदित्य बिड़ला ग्रुप के जरिए केबल और वायर इंडस्ट्री में उतरने का ऐलान किया था। अल्ट्राटेक ने बताया कि वह इस बिजनेस में उतरने के लिए करीब 1,800 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है और इसके लिए उसने गुजरात में एक प्लांट भी खोलने की योजना बनाई है। अब एक साथ दो-दो बड़े बिजनेस ग्रुप के आने के चलते इस सेक्टर में कॉम्पिटीशन तेज होने की उम्मीद जताई जा रही है।
वैसे यह पहली बार नहीं है, जब अदाणी और आदित्य बिड़ला ग्रुप किसी बिजनेस में आमने-सामने आ रहा है। इससे पहले अदाणी ग्रुप ने सीमेंट बिजनेस में भी बिड़ला ग्रुप के दबदबे को चुनौती दी थी। आदित्य बिड़ला ग्रुप के पास अल्ट्राटेक सीमेंट है, जो सीमेंट सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी है। लेकिन अदाणी ग्रुप ने अंबुजा और ACC सहित कई सीमेंट कंपनियों का अधिग्रहण उसके दबदबे को तोड़ने की कोशिश की है। अब ये दोनों वायर एंड केबल इंडस्ट्री में भी एक दूसरे से भिड़ने के लिए तैयार हैं।
लेकिन यहां सवाल उठता है कि अदाणी और बिड़ला ग्रुप के आने से इस सेक्टर की मौजूदा कंपनियां क्यों घबरा रही हैं? आइए इसे भी समझते हैं। वायर और केबल इंडस्ट्री में अभी तक KEI इंडस्ट्रीज, Polycab इंडिया, Havells और Finolex जैसे प्लेयर्स का दबदबा था। लेकिन अडानी और बिड़ला जैसे बड़े ग्रुप के आने से इनके बीच मुकाबला तेज होगा और इसके चलते इनके मुनाफे पर भी असर देखने को मिल सकता है। यही बात निवेशकों को परेशान कर रही हैं।
अगर हम मार्केट शेयर की बात करें तो केबल सेगमेंट में Polycab इंडिया के पास 20%, KEI के पास 12%, Havells के 8% और KEC इंटरनेशनल के पास 6% हिसेदारी है। वहीं पर, वायर सेगमेंट में Finolex के पास 15%, RR Kabel के पास 12%, Polycab के पास 10%, वी-गॉर्ड के पास 8% और हैवेल्स के पास 6% की हिस्सेदारीदारी है।
अदाणी और बिड़ला ग्रुप की एंट्री से इन कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा। निवेशकों को इस बात की चिंता है कि बड़े कॉरपोरेट प्लेयर्स लॉन्ग टर्म में छोटे और मझोले खिलाड़ियों की हालत खराब कर सकते हैं। ब्रोकरेज फर्म JM Financial के मुताबिक, वायर एंड केबल सेक्टर में अभी 400 से ज्यादा कंपनियां है। इनमें से अधिक कंपनियां छोटे और मझोले साइज की हैं, जिनका रेवेन्यू 0 करोड़ रुपये से 400 करोड़ रुपये के बीच है। ऐसे में बड़े खिलाड़ियों के पास आक्रामक प्राइसिंग के साथ यहां मार्केट कैप्चर करने का मौका रहेगा।
वहीं, Motilal Oswal का मानना है कि अगर वायर एंड केबल सेक्टर की मांग स्थिर रहती है और लेकिन नई कंपनियों के आने के चलते सप्लाई में इजाफा होता है, तो इससे कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन पर दबाव बढ़ेगा और इनके शेयरों में और गिरावट आ सकती है।
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