28 दिसंबर को शुरुआती कारोबार में फूड एग्रीगेटर जोमैटो (Zomato) के शेयर को 5 प्रतिशत तक की गिरावट देखनी पड़ी। 26 दिसंबर को कंपनी को 402 करोड़ रुपये के GST बकाए को लेकर कारण बताओ नोटिस मिला था। 28 दिसंबर को सुबह जोमैटो का शेयर गिरावट के साथ बीएसई पर 124.90 रुपये पर खुला। कुछ ही देर में इसने पिछले बंद भाव से 5 प्रतिशत से ज्यादा का गोता लगाया और 120.70 रुपये के लो पर आ गया। कारोबार खत्म होने पर शेयर 3 प्रतिशत की गिरावट के साथ 123 रुपये के लेवल पर सेटल हुआ।
जोमैटो ने शेयर बाजारों को दी जानकारी में कहा है कि उसे सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 के सेक्शन 74(1) के तहत डायरेक्टरेट जनरल ऑफ GST इंटेलिजेंस (DGGI), पुणे जोनल यूनिट की ओर से कारण बताओ नोटिस मिला है। नोटिस में कंपनी से जवाब मांगा गया है कि उससे ब्याज और जुर्माने के साथ 401,70,14,706 रुपये से ज्यादा की GST देनदारी की डिमांड क्यों न की जाए। यह टैक्स देनदारी 29 अक्टूबर 2019 से लेकर 31 मार्च 2022 तक की बताई जा रही है। जिस टैक्स देनदारी की डिमांड की जा रही है, वह जोमैटो की ओर से ग्राहकों से फूड डिलीवरी चार्ज के तौर पर लिए गए अमाउंट पर बेस्ड है।
जोमैटो (Zomato) मानती है कि वह डिलीवरी चार्ज पर कोई टैक्स देने के लिए उत्तरदायी नहीं है। इसकी वजह है कि डिलीवरी चार्ज, डिलीवरी पार्टनर्स की ओर से कलेक्ट किया जाता है। Zomato ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा है, "कंपनी का दृढ़ विश्वास है कि वह किसी भी टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है क्योंकि डिलीवरी चार्ज, डिलीवरी पार्टनर्स की ओर से कंपनी द्वारा कलेक्ट किया जाता है। इसके अलावा आपसी सहमति वाले कॉन्ट्रैक्चुअल नियमों और शर्तों के मद्देनजर, डिलीवरी पार्टनर्स ने ग्राहकों को डिलीवरी सर्विसेज दी हैं, न कि कंपनी ने। कंपनी कारण बताओ नोटिस पर उचित प्रतिक्रिया दाखिल करेगी।"
पिछले माह सूचना थी कि DGGI ने जोमैटो और स्विगी को एक डिमांड नोटिस भेजा है। इसमें जोमैटो को 400 करोड़ रुपये और स्विगी को 350 करोड़ रुपये के बकाया टैक्स का भुगतान करने के लिए कहा गया था। अनुमानित GST डिमांड की कैलकुलेशन दोनों कंपनियों की ओर से हर फूड ऑर्डर पर हासिल किए गए डिलीवरी चार्ज के आधार पर की गई थी।
DGGI का कहना है कि फूड डिलीवरी एक सर्विस है। इसलिए Zomato और Swiggy 18 प्रतिशत की दर से सर्विसेज पर GST का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। हालांकि, इंडस्ट्री का यह मानना है कि दोनों कंपनियां केवल एक प्लेटफॉर्म हैं और वे केवल गिग वर्कर्स की ओर से डिलीवरी चार्ज कलेक्ट करती हैं। चूंकि पूरी राशि गिग वर्कर्स को ट्रांसफर कर दी जाती है, इसलिए टैक्स का बोझ गिग वर्कर्स पर है, न कि Zomato या Swiggy पर। लेकिन क्योंकि प्रत्येक गिग वर्कर 20 लाख रुपये सालाना की थ्रेसहोल्ड से नीचे है, इसलिए उन्हें GST से छूट दी गई है।