Credit Card debt trap: क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बढ़ने के साथ देशभर में कर्ज़ का बोझ भी तेजी से बढ़ रहा है। मई 2025 तक क्रेडिट कार्ड बकाया 2.90 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है और डिफॉल्ट दरें 44% बढ़ गई हैं। ऐसे में छोटी-छोटी गलतियां आपकी जेब पर भारी पड़ सकती हैं।
1. बजट से ज्यादा खर्च करना
क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करना आसान और लुभावना लगता है, लेकिन यही आदत कर्ज का पहाड़ बना देती है। कई लोग आकर्षक ऑफर्स और रिवॉर्ड्स के चक्कर में असली खर्च से ज्यादा स्वाइप कर देते हैं। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह है कि क्रेडिट कार्ड खर्च आपकी मंथली इनकम का 30-35% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जितना मुमकिन हो, हर स्वाइप को ट्रैक करें और गैरजरूरी शॉपिंग से बचें। छोटी-सी सावधानी लंबे समय तक वित्तीय सुरक्षा देती है।
2. सिर्फ मिनिमम ड्यू भरना
क्रेडिट कार्ड बिल का केवल मिनिमम अमाउंट भरना सबसे खतरनाक गलती है। इससे आपका कर्ज कम नहीं होता बल्कि हर महीने 3-3.8% का ब्याज जुड़ता रहता है, जो सालाना 42-46% तक पहुंच सकता है। यही वजह है कि लोग जल्दी से डेट ट्रैप में फंस जाते हैं। अगर पूरा बिल चुकाना मुश्किल है, तो कम से कम हाई-इंटरेस्ट कार्ड्स का बैलेंस पहले क्लियर करें। हर हाल में 'फुल पेमेंट' को ही आदत बनाएं।
3. बहुत सारे कार्ड्स रखना
कई लोग अलग-अलग कार्ड्स से खर्च करते हैं ताकि ऑफर्स और लिमिट का फायदा ले सकें। लेकिन यही तरीका असल कर्ज को छुपा देता है और री-पेमेंट मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। एक कार्ड का बकाया चुकाने के लिए दूसरे कार्ड का इस्तेमाल करना सीधे कर्ज के जाल की ओर धकेलता है। बेहतर है कि जितने कार्ड्स को आसानी से मैनेज कर सकते हैं, उतने ही रखें। डेट कंसॉलिडेशन भी एक अच्छा उपाय है।
4. ड्यू डेट को हल्के में लेना
क्रेडिट कार्ड की ड्यू डेट मिस करना बेहद महंगा साबित हो सकता है। लेट पेमेंट फीस, क्रेडिट स्कोर में गिरावट और इंटरेस्ट-फ्री पीरियड का नुकसान सब एक साथ झेलना पड़ता है। कई बार तो एक छोटी चूक से पूरा फाइनेंशियल रिकॉर्ड खराब हो सकता है। इसलिए ड्यू डेट को नॉन-नेगोशिएबल मानें। ऑटो-डेबिट या रिमाइंडर सेट करके इस गलती से बच सकते हैं।
5. कैश विड्रॉल करना
क्रेडिट कार्ड से एटीएम से पैसे निकालना सबसे बड़ी गलती है। कैश निकासी पर तुरंत इंटरेस्ट लगना शुरू हो जाता है और कोई ग्रेस पीरियड नहीं मिलता। इससे आपका कर्ज और भी तेजी से बढ़ सकता है। ऐसे ट्रांजैक्शन सिर्फ इमरजेंसी में ही करें और जितना जल्दी हो, चुका दें। वरना ये आदत सीधे आपकी बचत को खत्म कर सकती है।
6. आसान EMI और BNPL स्कीम पर भरोसा करना
नो-कॉस्ट EMI और Buy Now Pay Later स्कीम सुनने में बहुत आसान लगती हैं। लेकिन इनमें कई बार छिपे हुए चार्जेज और कंपाउंडिंग इंटरेस्ट होता है। टर्म्स एंड कंडीशंस को बिना पढ़े इन स्कीम्स में फंस जाना कर्ज को और बढ़ा सकता है। हमेशा पहले लागत और लाभ का आकलन करें। सही जानकारी से ही सही फैसला लिया जा सकता है।