एक साथ 303 दिनों की छुट्टी ना देकर स्कूल फंसा, Maths टीचर ने बताया कैलकुलेशन

महिला टीचर को 303 दिन की छुट्टी नहीं देकर स्कूल फंस गया। एक टीचर ने सरकारी नियमों के तहत स्कूल प्रिंसीपल और मैनेजमेंट से छूट्टी मांगी। जो बार-बार कैंसिल की जा रही थी। महिला टीचर की छुट्टी बार-बार कैंसिल करना स्कूल को भारी पड़ा

अपडेटेड Nov 24, 2025 पर 6:15 PM
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महिला टीचर को 303 दिन की छुट्टी नहीं देकर स्कूल फंस गया। ए

महिला टीचर को 303 दिन की छुट्टी नहीं देकर स्कूल फंस गया। एक टीचर ने सरकारी नियमों के तहत स्कूल प्रिंसीपल और मैनेजमेंट से छूट्टी मांगी। जो बार-बार कैंसिल की जा रही थी। महिला टीचर की छुट्टी बार-बार कैंसिल करना स्कूल को भारी पड़ा। दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 नवंबर 2025 को एक अहम फैसला देते हुए एक महिला शिक्षक को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने कहा कि स्कूल मनमर्जी से चाइल्ड केयर लीव (CCL) को मना नहीं कर सकता। खासकर तब जब वही स्कूल उसी पीरियड के लिए 303 दिन की एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी लीव (EOL) यानी बिना सैलरी वाली छुट्टी देने को तैयार हो।

यह मामला दिल्ली के एक सरकारी स्कूल की गणित अध्यापिका राठी से जुड़ा है। उनके पति मरीन इंजीनियर हैं और लंबे समय तक विदेश में रहते हैं। ऐसे में उन्हें अपने दोनों बच्चों जो उस समय 10वीं और 12वीं में पढ़ रहे थे। उनकी देखभाल के लिए CCL की जरूरत थी।

स्कूल ने बार-बार CCL से किया इनकार


2015 में श्रीमती राठी ने पहली बार 149 दिन की CCL मांगी। स्कूल ने कहा कि गणित का कोई गेस्ट टीचर नहीं है और उनकी छुट्टी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। इसलिए छुट्टी मंजूर नहीं हुई। उन्होंने कुछ समय बाद फिर 114 दिन की CCL मांगी, लेकिन यह आवेदन भी रोका गया। हालांकि प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि अगर गेस्ट टीचर मिल जाए तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं। कुछ समय बाद उन्हें 78 दिन की CCL दी गई, लेकिन लंबे समय के लिए CCL लगातार रोकी जाती रही।

स्कूल ने CCL की जगह EOL दे दी

2017 में जब बच्चों के बोर्ड एग्जाम थे, शिक्षक ने Earned Leave (EL) लेकर काम चलाया। बाद में उन्होंने CCL दोबारा मांगी, जो नहीं मिली। मजबूर होकर उन्होंने Extraordinary Leave (EOL) मांगी, जो बिना सैलरी वाली छुट्टी होती है। स्कूल ने यहां चौंकाने वाला फैसला लिया। उन्होंने CCL तो नहीं दी, लेकिन 303 दिन की EOL मंजूर कर दी। यानी स्कूल के मुताबिक CCL पढ़ाई को बाधित करती है, लेकिन लंबी EOL नहीं। यही विरोधाभास हाई कोर्ट के सामने सबसे मजबूत बिंदु बन गया।

ट्रिब्यूनल ने केस खारिज कर दिया था

CCL न मिलने से परेशान होकर राठी ने 2018 में CAT ट्रिब्यूनल में आवेदन किया, जिसमें उन्होंने मांग की कि उनकी 303 दिन की EOL को CCL में बदला जाए। लेकिन ट्रिब्यूनल ने याचिका खारिज कर दी। उनका कहना था कि CCL कोई अधिकार नहीं है। स्कूल का काम बाधित हो जाएगा तो स्कूल मना कर सकता है। इसके बाद श्रीमती राठी ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि CCL अधिकार नहीं, पर मना भी मनमर्जी से नहीं किया जा सकता।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि CCL महिला कर्मचारियों को बच्चे की बीमारी, पढ़ाई और जरूरत के समय दी जाती है। सही है कि यह अधिकार की तरह नहीं मांगा जा सकता, लेकिन इसे मनमाने तरीके से नहीं रोका जा सकता। स्कूल ने गेस्ट टीचर नहीं है। ये कहकर CCL से इनकार किया, लेकिन फिर उसी पीरियड के लिए EOL दे दी। यह बात प्रशासनिक तर्क को कमजोर कर देती है।

अगर EOL से स्कूल का काम चल सकता है, तो CCL से क्यों नहीं?

हाई कोर्ट ने कहा कि यह स्कूल की मनमानी और भेदभावपूर्ण कार्रवाई है। स्कूल द्वारा ली गई लिखित undertaking भी गलत ठहराई गई। एक समय पर स्कूल ने CCL देने के लिए शिक्षक से यह लिखवाया कि वे भविष्य में CCL नहीं मांगेंगी। हाई कोर्ट ने इसे गलत और दबाव में लिया हुआ बताया।

चाइल्ड केयर लीव के नियम

कोर्ट ने कहा कि Rule 43-C के तहत महिला सरकारी कर्मचारी को पूरी सर्विसे में 730 दिन तक CCL मिल सकती है। इसका मकसद महिला कर्मचारियों को पारिवारिक निभाने में मदद देना है। प्रशासनिक सुविधा का बहाना बनाकर इसे खत्म नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ट्रिब्यूनल का फैसला रद्द कर दिया। स्कूल और प्रशासन को निर्देश दिया जाता है कि 2 जुलाई 2017 से 30 अप्रैल 2018 तक की 303 दिन की EOL को CCL में बदला जाए।

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