
फिक्स्ड डिपॉजिट की सीमा: FD शुरुआती बचत के लिए अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह सुरक्षा और निश्चित रिटर्न देता है। लेकिन आज के दौर में इसके ब्याज दरें महंगाई को मात नहीं दे पातीं। इसलिए इसे मुख्य वेल्थ-बिल्डिंग स्ट्रैटेजी नहीं माना जाता।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट की राय: Vint Wealth के CEO अजिंक्य कुलकर्णी कहते हैं कि FD सिर्फ शुरुआत के लिए ठीक है, लेकिन लंबे समय में बड़ी संपत्ति बनाने के लिए यह पर्याप्त नहीं। निवेशकों को ऐसे विकल्प चुनने चाहिए जो समय के साथ बेहतर रिटर्न दे सकें।
सरकारी बॉन्ड का विकल्प: केंद्रीय सरकार के बॉन्ड लगभग जोखिम-मुक्त माने जाते हैं और स्थिर रिटर्न देते हैं। RBI के Floating Rate Savings Bonds (FRSBs) पर अभी 8.05% ब्याज मिल रहा है। इन्हें RBI Retail Direct प्लेटफॉर्म के जरिए खरीदना आसान है।
कॉरपोरेट बॉन्ड में ज्यादा रिटर्न: कंपनियों के कॉरपोरेट बॉन्ड FD से ज्यादा, यानी 9-11% तक रिटर्न दे सकते हैं। इनमें थोड़ा अधिक जोखिम होता है, इसलिए निवेश से पहले क्रेडिट रेटिंग जरूर देखनी चाहिए। सही चुनाव पर ये पोर्टफोलियो में अच्छी बढ़त दे सकते हैं।
कॉरपोरेट FD भी एक विकल्प: बैंकों की तुलना में कॉरपोरेट FD 8.5% तक रिटर्न दे सकते हैं। हालांकि ये सरकारी गारंटीशुदा नहीं होते, इसलिए AAA-रेटेड NBFC जैसे Bajaj Finserv या Shriram Finance को प्रिफर करना सुरक्षित माना जाता है।
सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CDs): बैंक और फाइनेंशियल संस्थान 1-3 साल की अवधि वाले CDs जारी करते हैं, जिनके रिटर्न सेविंग अकाउंट से ज्यादा होते हैं। यह कम अवधि के निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प है। इसमें जोखिम अपेक्षाकृत कम रहता है और लिक्विडिटी भी बेहतर होती है।
सोने से जुड़ा SGB निवेश: Sovereign Gold Bonds सोने की कीमतों से जुड़े होते हैं और 2.5% वार्षिक ब्याज भी देते हैं। नई किस्तें अब बंद हैं, लेकिन इन्हें स्टॉक एक्सचेंज से खरीदा जा सकता है। सोने की लंबी अवधि की स्थिरता इन्हें आकर्षक बनाती है।
डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो की अहमियत: एक्सपर्ट मानते हैं कि आज के माहौल में सिर्फ FD पर निर्भर रहना जोखिम भरा है। निवेशकों को बॉन्ड, सोना, कॉरपोरेट डेट और अन्य विकल्पों में संतुलन बनाना चाहिए। इससे रिटर्न बढ़ते हैं और रिस्क भी काफी हद तक कम होता है।