भारत में सोना सिर्फ एक मेटल नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और निवेश का प्रतीक है।
भारत में सोना सिर्फ एक मेटल नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और निवेश का प्रतीक है। आजादी के बाद से लेकर 2025 तक, सोने के भाव में जबरदस्त बदलाव आया है। कभी 88 रुपये में बिकने वाला सोना 1 लाख रुपये के स्तर को पार कर चुका है।
1947 में आजादी के वक्त सोने का भाव
जब भारत आजाद हुआ, तब 10 ग्राम सोने की कीमत मात्र 88.62 रुपये थी। यह हर आम शादी-ब्याह का हिस्सा हुआ करता था।
1950-60 का दशक: हल्का उतार-चढ़ाव
1950 में कीमत 90 से 112 रुपये तक रही।
1964 में गिरकर 63.25 रुपये तक आई, लेकिन दशक के अंत में 176 रुपये हो गई।
1970 का दशक: सोने में पहली बड़ी छलांग
1970 में कीमत 184 रुपये,
1975 में 540 रुपये,
1979 में 937 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई।
दुनियाभर की आर्थिक उथल-पुथल ने इसे प्रभावित किया।
1980-1990: निवेश का नया दौर
1980 में 1,333 रुपये,
1985 में 2,130 रुपये और
1990 में 3,200 रुपये प्रति 10 ग्राम।
अब सोना निवेश का लोकप्रिय साधन बन चुका था।
2000 का दशक: तेज रफ्तार में बढ़त
2000 में 4,400 रुपये,
2005 में 7,000 रुपये और
2010 तक 18,500 रुपये प्रति 10 ग्राम।
महंगाई और निवेश की चाह से सोना महंगा होता गया।
2008-2015: आर्थिक संकट और सोने की चमक
2008 के वैश्विक संकट में सोने को "सेफ हैवन" माना गया।
कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला।
2020: कोरोना काल में रिकॉर्ड तेजी
कोविड-19 के दौरान लोगों ने सोने में भरोसा जताया।
कीमतें 50,000 से 60,000 रुपये के पार निकल गईं।
2025: 10 ग्राम सोना 1 लाख रुपये के पार
इतिहास में पहली बार सोने की कीमत 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंची।
ये भारतीय निवेश इतिहास की सबसे बड़ी छलांग है।
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