पीएफ और LIC का संयोजन
सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारी अपनी पेंशन और फाइनेंशियल सुरक्षा के लिए पीएफ और LIC दोनों का सहारा लेते हैं। दोनों को जोड़कर उपयोग करने की सुविधा से कर्मचारी को बेहतर सुरक्षा मिलती है।
पॉलिसी प्रीमियम का ऑटो डिडक्शन
जब पीएफ अकाउंट LIC से लिंक होता है तो अगर किसी वजह से पॉलिसी का प्रीमियम समय पर नहीं दिया जाता, तो वह राशि सीधे पीएफ अकाउंट से कट जाती है। इससे पॉलिसी लंकिन्ग में कोई रुकावट नहीं आती।
डबल फाइनेंशियल सुरक्षा
पीएफ और LIC का लिंक होने पर EDLI (Employees Deposit Linked Insurance) योजना के तहत कर्मचारी को अतिरिक्त बीमा सुरक्षा मिलती है। अकस्मात मृत्यु की स्थिति में परिवार को 2.5 लाख से 7 लाख रुपये तक की राशि मिलती है।
क्लेम प्रक्रिया आसान होती है
LIC पॉलिसी और पीएफ अकाउंट लिंक होने से क्लेम सत्यापन तेजी से होता है। इसके लिए कागजी कार्यवाहियों की जरूरत कम हो जाती है और डिजिटल माध्यम से प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
एक ही नामांकित करें
पॉलिसी और पीएफ अकाउंट में एक ही नामांकित व्यक्ति होना चाहिए ताकि क्लेम में किसी प्रकार की असुविधा न हो और राशि सीधे परिवार को मिले।
ऑनलाइन लिंकिंग प्रक्रिया
https://epfindia.gov.in वेबसाइट पर जाएं, UAN और पासवर्ड से लॉगिन करें, KYC सेक्शन में LIC पॉलिसी चुनें, पॉलिसी नंबर और जरूरी जानकारी भरकर सबमिट करें।
सत्यापन और लिंकिंग
नियोक्ता या EPFO द्वारा सत्यापन के बाद LIC पॉलिसी आपके पीएफ अकाउंट से लिंक हो जाएगी, जिससे सभी फायदे चालू हो जाएंगे।
इस लिंकिंग से कर्मचारी का फाइनेंशियल सुरक्षा कवच मजबूत होता है, प्रीमियम भुगतान मांगों से मुक्त होता है, और क्लेम प्रक्रिया भी सरल व तेज हो जाती है।