New labour codes: सरकार 29 श्रम कानूनों को खत्म करके चार नए लेबर कोड्स लाई है। अब कंपनियां नए नियमों को लागू करने की तैयारी कर रही हैं। इससे कर्मचारियों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है- क्या अब इनहैंड सैलरी कम आएगी?
New labour codes: सरकार 29 श्रम कानूनों को खत्म करके चार नए लेबर कोड्स लाई है। अब कंपनियां नए नियमों को लागू करने की तैयारी कर रही हैं। इससे कर्मचारियों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है- क्या अब इनहैंड सैलरी कम आएगी?
यह चिंता वाजिब है, क्योंकि लंबे समय से अटके इस रिफॉर्म का मकसद लेबर सिस्टम को सरल और एकसमान बनाना है। इसके साथ कुछ अहम बदलाव भी शामिल हैं।
वेज की नई परिभाषा और बड़ा असर
चार लेबर कोड अब 29 पुराने कानूनों को मिलाकर एक नया ढांचा तैयार करते हैं। सबसे बड़ा बदलाव कर्मचारियों के लिए 'वेजेज' की नई परिभाषा है। अब कुल वेतन का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा PF, ग्रेच्युटी और अन्य बेनिफिट्स की कैलकुलेशन का आधार बनेगा।
यह बदलाव सिस्टम में पारदर्शिता तो लाता है, लेकिन इससे एक चिंता भी बढ़ती है। अगर PF बड़ी रकम पर कैलकुलेट होगा, तो हाथ में आने वाली सैलरी घट सकती है।
क्या टेक-होम सैलरी वाकई कम हो जाएगी?
नए नियमों का सीधा असर आपके EPF पर पड़ेगा। जब वेतन (Wages) का हिस्सा बढ़ेगा, EPF कट भी उतना ही बढ़ेगा। अगर आपका CTC वही रहता है, तो EPF बढ़ने के कारण टेक-होम पे कम हो सकता है।
TeamLease Services के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बालासुब्रमण्यम ए के मुताबिक, 'अब CTC का 50 प्रतिशत हिस्सा EPF की 12 प्रतिशत कटौती के लिए गिना जाएगा। अगर CTC नहीं बदलता, तो PF बढ़ेगा और टेक-होम थोड़ा घट सकता है।'
किन कर्मचारियों पर इसका असर नहीं पड़ेगा?
अभी EPF बेसिक सैलरी और डीए पर आधारित होता है और कर्मचारी-नियोक्ता दोनों 12 प्रतिशत योगदान करते हैं। लेकिन जो कर्मचारी फिलहाल न्यूनतम 1,800 रुपये PF दे रहे हैं, उनके लिए कोई बदलाव नहीं होगा।
बालासुब्रमण्यम के अनुसार, 'अगर आप अभी केवल मिनिमम PF (1,800 रुपये) देते हैं, तो आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा।' वहीं, जिनकी सैलरी ज्यादा है, वे चाहें तो अपना PF 1,800 रुपये पर कैप कर सकते हैं। बालासुब्रमण्यम ने कहा, 'आप HR से PF कैप करने के लिए कह सकते हैं।' यानी हर किसी के लिए टेक-होम घटेगा ही, ऐसा नहीं है।
कई लोगों की बढ़ भी सकती है सैलरी
नए लेबर कोड एक नेशनल फ्लोर वेज भी लागू करते हैं। इसका मतलब है कि राज्यों को अपने न्यूनतम वेतन बढ़ाने पड़ेंगे। बालासुब्रमण्यम के मुताबिक, 'भारत की 90% वर्कफोर्स करीब 25,000 रुपये या उससे कम कमाती है। वेज बढ़ने पर इस सेगमेंट में सैलरी बढ़ सकती है।'
इसलिए जहां कुछ लोगों का PF बढ़ेगा, वहीं बड़ी संख्या को अनिवार्य वेज वृद्धि का फायदा भी मिलेगा।
अब ग्रेच्युटी सिर्फ एक साल में
कर्मचारियों के लिए सबसे राहत वाला बदलाव ग्रेच्युटी में आया है। पहले इसके लिए 5 साल की लगातार सेवा जरूरी थी। अब सिर्फ एक साल में भी ग्रेच्युटी मिल जाएगी।
अगर कोई 12 महीने काम करता है, तो उसे 15 दिन की सैलरी ग्रेच्युटी के रूप में मिल सकती है। आज की जॉब-हॉपिंग यानी लगातार नौकरी बदलने वाली पीढ़ी के लिए यह बड़ा फायदा है।
Cyril Amarchand Mangaldas की पार्टनर रश्मि प्रदीप कहती हैं, 'कॉन्ट्रैक्ट या प्रोजेक्ट-आधारित कर्मचारियों पर निर्भर कंपनियों को अब जल्दी और ज्यादा बार ग्रेच्युटी का भुगतान करना होगा।'
किन लोगों पर नए नियम लागू होंगे?
नए लेबर कोड का दायरा पहले से बड़ा है। अब यह सिर्फ स्थायी कर्मचारियों पर नहीं, बल्कि कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और गिग वर्कर्स पर भी लागू होगा। केवल अनौपचारिक या कैजुअल वर्कर्स इस दायरे से बाहर रहेंगे।
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