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दिल्ली में इस तारीख के बाद नहीं चलेंगी पेट्रोल-डीजल या CNG वाली प्राइवेट कैब, सरकार ला रही नया नियम

Delhi Draft Aggregator Policy: कैब एग्रीगेटर कंपनियों के बेड़े में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के अलावा परंपरागत वाहन पाए जाने पर प्रत्येक वाहन पर 50,000 रुपये की दर से जुर्माना देना होगा

अपडेटेड Jul 07, 2022 पर 8:13 PM
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यात्रियों से गलत बर्ताव करने वाले ड्राइवरों के खिलाफ भी कार्रवाई को लेकर ड्राफ्ट पॉलिसी में दिशानिर्देश दिए गए हैं

दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए नया ड्राफ्ट पॉलिसी पेश की है। इसके तहत राजधानी में सभी कैब कंपनियों, फूड डिलीवरी फर्मों और ई-कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों को अपने बेड़े में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को ही रखने का प्रावधान है। इस नई ड्राफ्ट पॉलिसी का नाम 'मोटर व्हीकल एग्रीगेटर स्कीम' है।

दिल्ली सरकार ने ड्राफ्ट पॉलिसी को परिवहन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया है। इसके तहत कैब कंपनियों, खाने-पीने से जुड़े सामान और ई-कॉमर्स डिलीवरी से जुड़ी कंपनियों को एक अप्रैल, 2030 से अपने बेड़े में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन रखना अनिवार्य हो जाएगा। इसका मतलब है कि दिल्ली में 1 अप्रैल 2030 के बाद पेट्रोल-डीजल और सीएनजी से चलने वाली कैब सर्विस बंद हो जाएंगी।

ड्राफ्ट पॉलिसी में यह भी कहा गया है कि अगर यह पाया गया कि किसी कंपनी के बेड़े में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के अलावा परंपरागत वाहन भी मौजूद हैं, तो प्रत्येक वाहन पर 50,000 रुपये की दर से जुर्माना देना होगा। दिल्ली सरकार ने इस ड्राफ्ट पर तीन सप्ताह के अंदर लोगों से राय मांगी है। इसके बाद सरकार को ड्राफ्ट को कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी।


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ड्राफ्ट पॉलिसी में कैब कंपनियों के लिए कुछ अन्य प्रावधान भी किए गए हैं। इसके तहत यात्रियों से गलत बर्ताव करने वाले ड्राइवरों के खिलाफ कैब एग्रीगेटर कंपनियों को कदम उठाए को लेकर दिशानिर्देश दिए गए हैं।

इसके मुताबिक, एक महीने के भीतर अगर किसी ड्राइवर के खिलाफ 15 प्रतिशत या उससे अधिक यात्री शिकायत करते हैं तो ‘कैब कंपनी’ को उसके खिलाफ उचित कदम उठाने होंगे। इसके अलावा साल भर में 3.5 से कम रेटिंग पाने वाले ड्राइवरों के लिए जरूरी ट्रेनिंग देने और भूलसुधार से जुड़े कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।

पॉलिसी में कहा गया है कि, इसके लागू होने के 6 महीने के अंदर कैब कंपनियों को अपने बेड़े में शामिल होने 10 फीसदी ऑटोरिक्शा को इलेक्ट्रिक में बदलना होगा। वहीं चार साल बाद बेड़े में सभी 100 फीसदी ऑटोरिक्शा इलेक्ट्रिक होंगे।

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