अल नीनो (EL NINO) पर अमेरिकी मौसम एजेंसी की ताजा रिपोर्ट ने टेंशन बढ़ा दी है। अल नीनो के चलते इस साल कम बारिश की आशंका है। अल नीनो से खेती पर असर तो पड़ता ही है। इसके साथ ग्रामीण इकोनॉमी पर भी इसका असर दिखाई देता है। भारत कृषिप्रधान देश होने के कारण इसकी अर्थव्यवस्था कृषि पर होने वाले किसी भी सकारात्मक या नकारात्मक असर से प्रभावित होती है। इसके साथ ही अल नीनो की मार ऑटो सेक्टर पर भी पड़ती है। ऑटो कंपनियों पर भी पड़ती है। अल नीनो एक स्पैनिश शब्द है। जिसका मतलब छोटा लड़का होता है। लेकिन अर्थव्यवस्था पर इस छोटे लड़के का बड़ा डर दिखाई पड़ सकता है।
ग्रोथ का दुश्मन! मॉनसून का काल
अल नीनो का ऑटो कंपनियों पर क्या असर पड़ सकता है ये बताते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के नीरज वाजपेयी ने कहा कि अल नीनो आने से ग्रोथ पर असर पड़ता है। इसे ग्रोथ का दुश्मन माना जाता है। इसे मानसून के लिए भी बुरा माना जाता है। अल नीनो को मानसून का काल भी माना जाता है। कमजोर मॉनसून से खेती-बाड़ी को झटका लग सकता है। कृषि की देश के GDP में 20% हिस्सेदारी है। ऑटो कंपनियों की ग्रोथ पर असर होता है।
अल नीनो से मानसून में कमी आती है। इसकी चेतावनी जारी होने पर सूखे का डर सताने लगता है। अल नीनो की वजह से सूखे की आंशका 60 प्रतिशत तक रहती है। जबकि कम बारिश की आशंका 30 प्रतिशत तक बनी रहती है। वहीं सामान्य बारिश का अनुमान केवल 10 प्रतिशत ही रहता है।
अल नीनो का ट्रैक्टर बिक्री कनेक्शन
अल नीनो की वजह से ऑटो सेक्टर का कारोबार प्रभावित होता है। यदि अल नीनो के दौरान हम ट्रैक्टर बिक्री के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2001 में इसमें 9% की गिरावट आई थी। जबकि 2002 में 20% की गिरावट देखने को मिली थी। वहीं 2004 में हालात सुधरकर 22% का इजाफा हुआ था जबकि 2005 में 20% की वृद्धि हुई थी।
वहीं 2008 में इसमें 3% की बढ़त आई थी। जबकि 2009 में 24% की गिरावट देखने को मिली थी। वहीं 2014 में हालात सुधरकर 2% का इजाफा हुआ था जबकि 2015 में 24% की गिरावट हुई थी।
अल नीनो का पैसेंजर व्हीकल बिक्री कनेक्शन
अल नीनो का पैसेंजर व्हीकल बिक्री पर भी प्रभाव पड़ता है। अल नीनो के दौरान हम पैसेंजर व्हीकल बिक्री के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2001 में इसमें 1% की गिरावट आई थी। जबकि 2002 में ये फ्लैट रहा था। वहीं 2004 में हालात सुधरकर 25% का इजाफा हुआ था जबकि 2005 में 6% की वृद्धि हुई थी।
वहीं 2008 में इसमें 3% की बढ़त आई थी। जबकि 2009 में 24% की गिरावट देखने को मिली थी। वहीं 2014 में हालात सुधरकर 10% का इजाफा हुआ था जबकि 2015 में 2% की बढ़ोत्तरी हुई थी।