मौसम के पूर्वानुमान बताने वाली कुछ एजेंसियों ने इस साल प्रशांत महासागर के क्षेत्र में अल नीनो (El Nino) के वापसी की संभावना जताई है। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने जनवरी की अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि अगर अल नीनो की वापसी से जुड़ी ये अनुमान सही है, तो यह भारत में इस साल कमजोर मानसून की भविष्यवाणी कर सकता है। इसके चलते वित्त वर्ष 2024 में उत्पादन में कमी और कीमतों में बढ़ोतरी की स्थिति देखने को मिल सकती है।
समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है, “कुछ मौसम एजेंसियों ने भारत में इस साल अल नीनो की स्थिति की वापसी की भविष्यवाणी है। यदि ये भविष्यवाणियां सटीक हुई, तो मॉनसून सीजन में होने वाली बारिश कम हो सकती है। इससे कृषि उत्पादन कम हो सकता है और कीमतें बढ़ सकती हैं। हालांकि वित्त वर्ष 2024 में भारत के लिए महंगाई से जुड़ा जोखिम कम रहने की संभावना है, लेकिन फिर भी ये खत्म नहीं होंगे। भू-राजनीतिक संघर्ष और उसके चलते सप्लाई-चेन में रुकावट जैसी जो ग्लोबल समस्याएं हमें 2022 में देखने को मिली थीं, वो अभी भी बनी हुईं हैं और ये महंगाई को ऊंचे स्तर पर बनाए हुई हैं।"
वित्त वर्ष 2023 के लिए आर्थिक सर्वे में FY24 के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर पर विचार किया गया है, लेकिन उल्टा जोखिमों की तुलना में अधिक नकारात्मक है। इसी तरह, कीमतों के साथ, वित्तीय घाटा FY23 की तुलना में FY24 में एक कम चुनौती हो सकती है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और पूंजी प्रवाह के रुझानों पर करीब से ध्यान दिया जाएगा।
आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2024 में भारतीय इकोनॉमी के 6.5 प्रतिशत दर से बढ़ने का अनुमान जताया गया है। हालांकि साथ में यह भी इस दर के अधिक होने से ज्यादा, कम होने से जुड़े जोखिम मौजूद है।
इसमें कहा गया, "भारत आने वाले वित्तीय वर्ष का सामना व्यापक आर्थिक स्थिरता से मिले भरोसे के साथ करता है। साथ ही यह भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक जोखिमों के प्रति सतर्क भी है। भू-राजनीतिक वातावरण भयावह बना हुआ है। ऐसे में यह सप्लाई चेन और अन्य चीजों में व्यवधान के जरिए अधिक आर्थिक अव्यवस्था का कारण बन सकता है।"
El Nino एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे प्रशांत महासागर के सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है। सतह के सामान्य से ज्यादा गर्म होने चलते हवा के पैटर्न में बदलाव आ जाता है। प्रशांत महासागर मे चलने वाली हवाएं अपनी स्थिति से दक्षिण की ओर जाने लगती हैं। इस बदलाव के चलते पूरी दुनिया के मौसम पर असर पड़ता है। यह हर 3 से 7 साल में एक बार होता है। अमेरिकी सरकार के नेशनल ओसेनिक एंड ऐटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (National Oceanic and Atmospheric Administration) ने बताया है कि इस साल El Nino बनने की संभावना दिख रही है।
भारत में आखिरी बार 2018 में दिखा था अल नीनो का असर
भारत में आखिरी बार साल 2018 में El Nino का असर देखने को मिला था। इस असर के चलते ही साल 2018 में मानसून सामान्य से कमजोर रहा था। तब से अगले लगातार 4 सालों तक भारत में मानसून अच्छा रहा है। हालांकि अब 5वें साल मानसून का सामान्य रहना थोड़ा मुश्किल लग रहा है।