फरवरी में तीसरी COVID-19 लहर से खतरा कम होने के कारण भारत की फैक्टरी गतिविधि की रफ्तार बढ़ी है। जबकि कीमतों के दबाव में कुछ नरमी आने का मतलब डिमांड और बिजनेस अपेक्षाएं मजबूत हुई हैं। ये जानकारी एक निजी सर्वेक्षण से प्राप्त हुई है। वहीं 10-22 फरवरी तक IHS मार्किट (IHS Markit) द्वारा संकलित मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (Manufacturing Purchasing Managers' Index), जनवरी के 54.0 से सुधरकर फरवरी में 54.9 हो गया।
हालांकि, ये सर्वेक्षण रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले किया गया था। रूस के आक्रमण के कारण तेल की कीमतों में तत्काल वृद्धि हुई। इस समय भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। इसलिए रूस-यूक्रेन युद्ध संकट मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ाएगा और कंज्यूमर सेंटीमेंट को चोट भी पहुंचाएगा।
रायटर्स पोल (Reuters poll) के मुताबिक फरवरी की रीडिंग 54.3 की अपेक्षाओं को पार कर गई जबकि ये 50-मार्क से ऊपर थी।
इस बीच फरवरी के PMI data ने लगातार आठवें महीने समग्र ऑपरेटिंग कंडीशन में सुधार की ओर इशारा किया। PMI के मुताबिक 50 से ऊपर के प्रिंट का मतलब विस्तार होता है, जबकि 50 से नीचे का स्कोर कमजोरी को दर्शाता है।
वहीं बिक्री में निरंतर वृद्धि ने फरवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादन में ग्रोथ को सपोर्ट किया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि इसके अलावा फर्मों ने उत्पादन को बढ़ाकर नए काम में मजबूत वृद्धि दर्शाई है।
IHS Markit की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा, "भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए नवीनतम पीएमआई डेटा ने फरवरी में ऑपरेटिंग कंडीशन में सुधार का खुलासा किया। आउटपुट और नए ऑर्डर मजबूत दरों पर हासिल हुए, जबकि खरीदारी की गतिविधि भी जारी रही।"