Google vs Huawei: गूगल के एंड्रॉयड और एपल के आईओएस से होड़ में Huawei ने अपने ऑपरेटिंग सिस्टम हार्मोनीओएस पर 1 लाख ऐप जोड़ने की योजना बना रही है। इसे ट्रंप इफेक्ट माना जा रहा है। अमेरिका में एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने जा रही है। पिछले बार के अनुभवों के हिसाब से चीन की कंपनी Huawei ने इसके लिए कमर कस ली है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इसी कड़ी के तहत कंपनी के चेयरमैन Xu Zhijun ने कहा है कि कंपनी की योजना हार्मोनीओएस के ऐपस स्टोर पर 1 लाख ऐप रखने की है।
ट्रंप की पिछली सरकार में क्या हुआ था?
वर्ष 2016 में अमेरिका में जब डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनी थी तो Huawei उस समय चीन के बाहर अपना विस्तार कर रही थी। 2018 में इसका एशिया में काफी दबदबा हो गया था और वह अमेरिकी और यूरोपीय स्मार्टफोन बाजारों में भी कदम रख रही थी। हालांकि अगले ही साल वर्ष 2019 में ट्रम्प ने Huawei पर कड़े प्रतिबंध लगाकर एक बड़ा झटका दे दिया। इसके चलते गूगल ने Huawei के सभी फोन से अपनी ऐप्स और सर्विसेज हटा दीं। अब ट्रम्प 25 जनवरी को फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनेंगे तो चाइनीज कंपनी इस बार पहले से ही एक्टिव है।
Google vs Huawei: पांच साल में क्या बदला?
वर्ष 2019 में प्रतिबंध लगने के तीन महीने बाद Huawei ने गूगल के एंड्रॉइड का मुकाबला करने के लिए अपना खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम Harmony लॉन्च करने का ऐलान किया। अभी इसमें टेन्सेंट का WeChat और अलीबाबा का ऑनलाइन शॉपिंग ऐप TaoBao समेत करीब 15,000 ऐप्स हैं। अब कंपनी के चेयरमैन ने वीचैट मैसेजिंग ऐप पर एक भाषण में कहा कि अगर हार्मोनीओएस के इकोसिस्टम को ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए परिपक्व बनाना है, तो 100,000 ऐप्स एक मील का पत्थर है, और इसे छह से 12 महीनों में हासिल करना है।
Apple के iPhone की टक्कर में ला रही नई सीरीज
Huawei की एक और बड़ी तैयारी है। इस हफ्ते के आखिरी में कंपनी आईफोन 16 सीरीज के टक्कर में Mate 70 स्मार्टफोन सीरीज लॉन्च करेगी जो Harmony ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलेगा। जब Huawei ने इस साल की शुरुआत में Mate 60 सीरीज लॉन्च की थी, तो इसमें खुद की विकसित की हुई प्रोसेसर थी। वहीं दूसरी तरफ बाकी एंड्रॉइड फोन को क्वालकॉम या मीडिया टेक के प्रोसेसर पर निर्भर रहना पड़ता है।
Huawei के चेयरमैन का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते इसे अपना खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित करने में तेजी लानी पड़ी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जब तक इस्तेमाल न बढ़े, इसकी खासियतों का कोई मतलब नहीं है। ऐसे में उन्होंने डेवलपर्स को अपने ऐप्स को बेहतर और डाईवर्स बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा उन्होंने सरकारी एजेंसियां से भी इसका इस्तेमाल करने का आग्रह किया है।