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Bangladesh Violence: 'गरीबों का बैंकर' अकाल में बांग्लादेश को उबारा, कौन हैं मुहम्मद यूनुस, जो बने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार

Who is Muhammad Yunus: 2006 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता को उनकी बनाईं कई कंपनियों में से एक, ग्रामीण टेलीकॉम के वर्कर्स वेलफेयर फंड से 2 मिलियन डॉलर यानी करीब 16 करोड़ रुपये से ज्यादा के गबन के आरोप में दोषी ठहराया गया था। यूनुस इस समय जमानत पर बाहर हैं। उन्हें उम्मीद है कि बांग्लादेश में निष्पक्ष आम चुनाव होने पर बहुत सारे बदलाव देखने को मिलेंगे

अपडेटेड Aug 06, 2024 पर 1:03 PM
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Bangladesh Violence: कौन हैं मुहम्मद यूनुस, जो बने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार

एंटी डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट के कॉर्डिनेटर्स ने मंगलवार को घोषणा की कि बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस देश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार होंगे। मंगलवार सुबह सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, आंदोलन के चीफ कॉर्डिनेटर में से एक, नाहिद इस्लाम ने कहा कि यूनुस इस अहम जिम्मेदारी को लेने के लिए तैयार हो गए हैं।

बांग्लादेश में सोमवार को उस समय अराजकता की स्थिति पैदा हो गई, जब प्रधान मंत्री शेख हसीना ने गुप्त तरीके से इस्तीफा दे दिया और एक सैन्य विमान में देश छोड़कर भाग गईं। सेना ने अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा की।

कौन हैं मुहम्मद यूनुस?


28 जून 1940 को चटगांव में जन्मे मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) एक सोशल आन्त्रप्रेन्योर, बैंकर, अर्थशास्त्री और नागरिक समाज नेता हैं। वेबसाइट nobelprize.org के अनुसार, यूनुस ने 1969 में वेंडरबिल्ट से अर्थशास्त्र में PhD की। बाद में, वह मिडिल टेनेसी स्टेट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए।

बांग्लादेश लौटने के बाद, यूनुस ने चटगांव यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र विभाग के हेड बन गए। 1993 से 1995 तक, वह महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन के लिए इंटरनेशनल एडवाइजरी ग्रुप के सदस्य थे।

वह ग्लबोल कमीशन ऑफ वूमेन, सस्टेनेबल इकोनॉमिक डेवलपमेंट के लिए सलाहकार परिषद और महिलाओं और वित्त पर UN एक्सपर्ट ग्रुप का भी हिस्सा थे।

अकाल में बांग्लादेश को उबारा

बांग्लादेश में 1974 के अकाल में, यूनुस ने लोगों को अपने छोटे वेंचर शुरू करने में मदद करने के लिए लॉन्ग टर्म लोन की शुरुआत की।

इससे ग्रामीण बैंक का गठन हुआ। "सबसे गरीब लोगों के लिए बैंकर" के रूप में जाने जाने वाले 83 साल के यूनुस और उनके ग्रामीण बैंक को 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार माइक्रोक्रेडिट और माइक्रोफाइनेंस में उनके काम और योगदान के लिए उन्हें दिया गया था।

2007 में उन्होंने 'नागरिक शक्ति' नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई। लेकिन उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ने की किसी भी संभावना से इनकार कर दिया।

शेख हसीना सरकार ने 190 से ज्यादा मामलों में आरोपी बनाया

श्रम कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में यूनुस को इस साल छह महीने की जेल की सजा भी हुई। यूनुस को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार ने 190 से ज्यादा मामलों में आरोपी बनाया था।

मुहम्मद यूनुस ने The Print को दिए एक इंटरव्यू में बताया, “जब तक वह (शेख हसीना) वहां थीं, हम एक अधिकृत देश थे। वह एक कब्जा करने वाली शक्ति, एक तानाशाह, एक सेनापति की तरह व्यवहार कर रही थी, जो सब कुछ कंट्रोल कर रही थीं। आज बांग्लादेश के सभी लोग आजाद महसूस कर रहे हैं।"

जमानत बाहर हैं यूनुस

2006 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता को उनकी बनाईं कई कंपनियों में से एक, ग्रामीण टेलीकॉम के वर्कर्स वेलफेयर फंड से 2 मिलियन डॉलर यानी करीब 16 करोड़ रुपये से ज्यादा के गबन के आरोप में दोषी ठहराया गया था।

यूनुस इस समय जमानत पर बाहर हैं। उन्हें उम्मीद है कि बांग्लादेश में निष्पक्ष आम चुनाव होने पर बहुत सारे बदलाव देखने को मिलेंगे। सलाह के तौर पर उन्होंने बांग्लादेशियों से पिछली गलतियों से सावधान रहने और लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर कायम रहने को कहा।

उन्होंने कहा, "जब तक हम इस पर कायम हैं, तब तक आप एक मजबूत देश बने रहेंगे। हम एक खूबसूरत देश बन सकते हैं।"

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