तिब्बत (Tibet) पर चीन (China) का अत्याचार किसी से छिपा नहीं है। अब ड्रैगन का एक और बड़ा खेल सामने आया है। चीन बड़े पैमाने पर तिब्बत के लोगों का DNA टेस्ट (DNA Test) करा रहा है, ताकि लोगों की निगरानी के लिए उनका बायोलॉजिकल डेटाबेस (Biological Database) तैयार किया जा सके।
ह्यूमन राइट्स वॉच की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि तिब्बत प्रेस ने रिपोर्ट किया पूरे तिब्बत और खासतौर से तथाकथित तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन (TAR) के कई कस्बों और गांवों के निवासियों से DNA का मनमाने ढंग से सैंपल लिया जा रहा है।
इन घटनाक्रमों से सीधा संकेत मिलता है कि चीन, अब अपनी तकनीकी निगरानी में विश्वास रखते हुए अपनी दमनकारी और आधिकारिक नीति को लेकर आगे बढ़ रहा है, जो बायो-सिक्योरिटी की है।
CCP ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए एक एजेंसी के रूप में बायो-सिक्योरिटी को लागू किया है। तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और दक्षिणी मंगोलिया के कब्जे वाले इलाकों को ज्यादा टारगेट किया जा रहा है।
इससे पहले चीन ने हजारों उइगर मुसलमानों की नसबंदी करने के लिए जैविक साधनों का इस्तेमाल किया था, जिसके खतरनाक नतीजे सामने आए हैं। तिब्बत में हाल ही में बड़े पैमाने पर DNA कलेक्शन ड्राइव चलाया जा रहा है, जहां ह्यूमन राइट्स वॉच ने 7 प्रीफेक्चुरल-लेवल के इलाकों में 14 अलग-अलग इलाकों में ड्राइव की पहचान की है।
तिब्बत प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 20वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के साथ, कोई यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि बीजिंग खासतौर से राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक सुचारू बैठक करना चाहते हैं। इसमें उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुना जाएगा।
1949 से चीनी कब्जे के तहत तिब्बत का दमन किया गया है, जब पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) की स्थापना हुई थी। साफ दिखता है कि 29-30 अगस्त, 2020 तक आयोजित 7वें तिब्बत कार्य मंच के बाद से दमन और उत्पीड़न का स्तर काफी बढ़ गया है।